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झारखंड


पीटीआर से बाघ गायब: अब 1000 कैमरे ढूढेंगे बाघ

अफसरों का दावा: मिले है बाघ के स्कैट, पांच साल में किसी ने नहीं देखा बाध
पीटीआर से बाघ गायब: अब 1000 कैमरे ढूढेंगे बाघ

अमित सिंह\ न्यूज11 भारत


रांची: संयुक्त बिहार के समय 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, तब पीटीआर में करीब 50 बाघ थे. वर्तमान समय में पीटीआर क्षेत्र में एक भी बांध नहीं है. पिछले पांच साल में बाघ होने के कोई पूख्ता सबूत किसी के पास नहीं है. किसी ने बाघ नहीं देखा है. वैसे बाघ देखे जाने की कई कहानियां है. उन्हीं कहानियों को आधार बना कर वन विभाग के अफसर बाघ खोजने और बाघ संरक्षण के नाम पर अबतक करोड़ों रुपए खर्च कर चुके हैं. केंद्र सरकार से पीटीआर को हर साल तीन करोड़ रुपए मिलते है. राज्य सरकार और पर्यटन से पीटीआर को लाखों रुपए आते हैं. 


पीटीआर में बाघ के नाम पर सबका रोजी रोजगार चल रहा है. पीटीआर में बाघ है? कितने बाघ है? बाघ कब देखे गए थे? क्या पीटीआर से बाघों का पलायन हो गया? बाघ कब देखे गए थे? बाघ होने के क्या प्रमाण या साक्ष्य है? बाघ संरक्षण के नाम पर हर साल करोड़ों खर्च हो रहे है, इसके बाद भी बाघ कहां गए? इन सवालों का जवाब किसी भी जिम्मेवार के पास नहीं है. अब एकबार विभाग बाघों को ढूढने के लिए कैमरे लगा रहा है. पीटीआर क्षेत्र में कुल एक हजार कैमरे लगने है, जिनपर लाखों रुपए खर्च होंगे. 



पीटीआर में कई गड़बड़ियां, हाईकोर्ट भी कर चुका है टिप्पणी


दूसरी तरफ केंद्र और राजय से मिलने वाले फंड से पीटीआर क्षेत्र में एक चाहरदीवारी बना दी गई है, जिससे जानवरों के जाने का मार्ग बाधित हो गया है. क्षेत्र में बनाए गए 100 वाच टावर भी काम के नहीं कर रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में कई गड़बड़ियों की बातें सामने आ रही है. पलामू टाइगर रिजर्व की गड़बड़ियों को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में भी एक याचिका पर सुनवाई भी चल रही है. अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछली तारीखों में वन विभाग के खिलाफ सख्त टिप्पणी भी की थी. अदालत ने यहां तक कहा कि अजब विरोधाभास है कि एक तरफ वन्य प्राणियों की संख्या लगातार घटती गयी और दूसरी तरफ वन विभाग में अफसरों और कर्मियों की संख्या बढ़ती गयी. 


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क्षेत्र में दूसरे जानवरों की संख्या बढी

हर 4 साल में एक बार टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती की जाती है. पीटीआर में 2018 में बाघों की गिनती का काम हुआ था. इस अनुसार जुलाई 2022 तक बाघों की गिनती का काम पूरा कर लेना था. मगर अभी भी पीटीआर में बाघों की गिनती और बाघों का सही अनुमान लगाने के लिए कैमरा ट्रैप लगाने का ही काम चल रहा है. भारत में साल 2010 में बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे. आंकड़ों और कैमरा ट्रैप की रिपोर्ट को देखाने से यह साफ हो गया है कि पीटीआर क्षेत्र से बाघ गायब हो गए है. एक प्रकार से बाघ पीटीआर क्षेत्र से विलुप्त हो गए है. दूसरे जानवरों की संख्या में बढोत्तरी हुई है. 


बाघों की वापसी हो, विभाग इसी प्रयास में है


पीटीआर में जुलाई 2022 तक बाघों की गिनती का काम पूरा होना था. यह काम भी अधूरा है. बाघों को ट्रैप करने के लिए पीटीआर में 1000 कैमरे लगाए जाने हैं. अबतक 800 कैमरे लग चुके है. अभी 200 के आसपास और कैमरे लगने है. इनपर कैमरों को लगाने पर लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं. वन विभाग के जिम्मेवारों का दावा है कि पीटीआर में बाघ अभी भी है, मगर जंगल और बड़ा क्षेत्र होने की वजह से बाघ दिखते नहीं हैं. बाघ का मल, यानी स्कैट मिला है. जिससे पीटीआर में बाघ मौजूद होना तय है. बाघ के अलावा पीटीआर 29 तरह के जीव-जंतुओं के बसेरा है. पीटीआर क्षेत्रफल के अनुसार 1000 से ज्यादा स्पॉट पर कैमारा लगा होना चाहिए. नियमत: कैमरों का स्पॉट भी 25-25 दिन में सिफ्ट होना चाहिए. जिससे नए स्पॉट पर बाघ आ रहे है या नहीं, यह पता चल सके. यहां टाइगरों की किसी तरह वापसी हो सके, विभाग इसी प्रयास में है.


2018 जनगणना के अनुसार पीटीआर में बाघों की संख्या शून्य


2005 में जब बाघों की गिनती हुई, तो बाघों की संख्या घटकर 38 हो हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई, तो बताया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ हैं. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई, तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हैं. उसके बाद से कोई भी नया बाघ रिजर्व एरिया में नही मिला. 2018 में हुई जनगणना में पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई. जबकि वन विभाग के जिम्मेवारों का दावा है कि पीटीआर में बाघ अभी भी है. बाघ का मल, यानी स्कैट मिला है. जिससे पता चला है कि पीटीआर में बाघ मौजूद है. 


पीटीआर में स्कैट बाघ की मौजूदगी का प्रमाण


पीटीआर के फिल्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने न्यूज 11 भारत को बताया कि वर्तमान में बाघों को नहीं देखा गया है, मगर उनकी मौजूदगी का प्रमाण मिला है. बाघ के स्कैट मिले है, जिससे बाघ का होना तय है. पीटीआर में बाघों के संरक्षण को लेकर हर संभव कोशिश की जा रही है. बाघों का सही अनुमान लगाने के लिए कैमरा ट्रैप लगाया जाना है. 800 कैमरा ट्रैप लगया जा चुका है. पीटीआर क्षेत्रफल के अनुसार 1000 से ज्यादा स्पॉट पर कैमारा लगा होना चाहिए. नियमत: कैमरों का स्पॉट भी 25-25 दिन में सिफ्ट होना चाहिए. जिससे नए स्पॉट पर बाघ आ रहे है या नहीं, यह पता चल सके. यहां टाइगरों की किसी तरह वापसी हो सके, विभाग इसी प्रयास में है. कुछ समय पहले तक बाघों की अच्छी खासी आबादी के लिए देश व दुनिया में गौरवान्वित महसूस करता रहा पलामू टाइगर रिज़र्व इन दिनों हाथी, हिरण बंदर और तेंदुओं के लिए स्वर्ग बना हुआ है. मगर यहां बाघ नहीं दिखने से पर्यटकों को निराशा होती है. 


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डब्ल्यूएलआई के अनुसार पीटीआर में बाघ मौजूद

पीटीआर से वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया (डब्लूएलआई) देहरादून को भेजे गए 6 जेनेटिक एनालिसिस का एक सैंपल टाइगर से मैच हुआ है. वहीं एक तेन्दुए से मैच हुआ है, जबकि चार अनफिट (पुराने) होने के कारण उनकी जांच नहीं हो पायी. रिजर्व एरिया से एकत्रित किए गए छह मल (स्केट) के सैंपल 22 दिसम्बर 2021 को देहरादून स्थित वन्यप्राणी प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए थे. जिसमें छह में से एक मल टाइगर से मैच किया गया है, जबकि एक तेन्दुए के मल से मैच हुआ है. जांच-पड़ताल के बाद उक्त एजेंसी ने प्रमाणित किया है कि पीटीआर में बाघ मौजूद है. जब इस संबंध में वन विभाग के जिम्मेवार से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व महुआडांड़ वन क्षेत्र में एक बाघिन को दो बच्चों के साथ देखे जाने की जानकारी मिली थी. 


इस संबंध में आशुतोष कुमार ने बताया कि दो मल के सैंपल जांच के लिए पुनः डब्लूएलआई भेजे गए थे. इसके अलावा उनके पद चिन्ह (पगमार्क) भी मिले हैं. जिससे एकत्र कर सभी सैंपल जांच के लिए भेजा जा चुका है. जिसमें से दो बाघ के सैंपल होने की बात समाने आ रही है. इससे संबंधित कागजी जानकारी जबतक नहीं मिलती, कुछ बोलना जल्दबाजी होगी.

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