रांची: राँची शहर में जिला प्रशासन एवं नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से अतिक्रमण हटाने का काम जोर-शोर से चलाया जा रहा हैं. शहर में स्थित वैसे भवन जो पूर्व में बने हुए हैं, जिसका नक्शा नहीं बना हुआ है, उन्हें भी लगातार नोटिस दिया जा रहा है. जिससे जनता में भय का माहौल बना हुआ हैं.
बगैर नक्शा पास को भी नोटिस किया जारी
उच्च न्यायालय ने नदी और नालों को अतिक्रमण मुक्त करने को कहा है. परन्तु, जिला प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के आड़ में पूर्व में बने मकान जिसका नक्शा पास नहीं हैं, उसे तोड़ने के लिए नोटिस जारी किया जा रहा है.
इस तरह की मकान का नक्शा नहीं है पास
शहर में कई ऐसे मकान हैं जो की भू – हरी जमीन, खास महल जमीन एवं आदिवासी जमीन पर बना हुआ हैं. जिसका नक्शा पास नहीं किया जा सकता. ऐसे मकानों की संख्या तक़रीबन 1 लाख 80 हजार है.
बैठक में लिया गया निर्णय
उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय की अध्यक्षता में उपमहापौर के निगम कार्यालय कक्ष में राँची नगर निगम के सभी माननीय वार्ड पार्षदगणों के साथ बैठक की गयी है. बैठक में राँची में भवन तोड़ने हेतु दिए जा रहें हैं नोटिस पर समीक्षा की गयी एवं सर्वसम्मत्ति से निर्णय लिया गया कि उपमहापौर के नेतृत्व में सभी पार्षद PIL के माध्यम से राँची शहर के सभी भवनों को रेगुलाइज कराने के लिए न्यायालय के शरण में जाएंगे. इसमें उपमहापौर के साथ सभी पार्षद पार्टी बनेंगे. साथ ही राँची शहर के कई स्वयंसेवी संस्था, सामाजिक संस्था के साथ बुद्धिजीवी वर्ग पिटीशनर बनेंगे.
अब तक सरकार ने कोइ दिशा-निर्देश नहीं है किया जारी
मामले को झारखण्ड के मुख्य सचिव एवं प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग से भी मिल कर एवं पत्राचार कर इस गंभीर विषय को रखा गया था. लेकिन, अब तक पूर्व में बनें भवनों को रेगुलाइज कराने हेतु किसी तरह की गाईड लाईन नहीं आने के कारण राँची शहर के जनप्रतिनिधि न्यायालय के शरण में जाने को बाध्य हो गये हैं. इस बैठक में श्रीमति बसंती लकड़ा, श्री हुस्ना आरा, मो ० नसीम गद्दी, श्रीमति रीता मुण्डा , श्रीमति कविता सांगा, श्रीमति सविता लिंडा , श्रीमति निर्मला कच्छप समेत अन्य वार्डपार्षद मौजूद थे.