रांची: विभिन्न आदिवासी संगठनों ने रुपा तिर्की न्याय मोर्चा के बैनर तले राजभवन के समक्ष धरना दिया. प्रदेश भाजपा महिला अध्यक्ष एवं बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि सरकार इस मामले की लिपापोती कर आदिवासी विरोधी होने का परिचय दे रही है. सरकार झारखंड की आम जनता को यह बताए कि जिन्हें रुपा के परिजनों ने अभियुक्त बनाया है. उन पर जांच क्यों नहीं किया जा रहा है. सरकार रसूखदारों को बचाने में क्यों लगी हुई है. पोस्टमार्टम के वक्त विसरा क्यों नहीं रखा गया.
क्या कहती हैं जिला अध्यक्ष
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् की रांची जिला अध्यक्ष कुंदरसी मुंडा ने कहा कि साहेबगंज महिला थाना प्रभारी दिवंगत रूपा तिर्की के संदेहास्पद मौत को तीन महीने बीतने को हैं, परन्तु अब तक सरकार क्या कर रही है पता नहीं. आदिवासी छात्र संघ के मीडिया प्रभारी सुमित उरांव एवं संगम उरांव ने कहा कि उच्च न्यायालय झारखंड ने सरकार के अधिवक्ता को चार हफ्ते का समय दिया गया था. परंतु, पांच हफ्ता से भी ज्यादा समय हो गया है. फिर भी सरकार के तरफ से अब तक कोई जवाब हाईकोर्ट को नहीं दिया गया है. अब आन्दोलन और भी धारदार होगा और चरणबद्ध होगा.
धरना में विकास तिर्की, अलविन लकड़ा, अनीता गाड़ी, कुमुदिनी , सुमित उरांव, संगम उरांव, मोनू कच्छप, संदीप उरांव, गोविंद टोप्पो, सन्नी उरांव , तीर्थनाथ आकाश, सुनीता मुंडा आदि शामिल हुए.
राज्यपाल को ज्ञापन
• मामले की सी.बी.आई जांच कराई जाए.
• रुपा तिर्की के मृत शरीर का रिपोस्टमार्टम कराई जाए.
• रुपा तिर्की के परिजन एवं रुपा तिर्की के लिए न्याय मांगने वाले लोगों पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लिया जाए.