दीपक, न्यूज 11 भारत
रांचीः झारखंड के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को 2021-22 के वित्तीय वर्ष में साइकिल मिलेगी अथवा नहीं, इस पर सवालिया निशान लग गया है. इससे 6 लाख से ज्यादा छात्राएं साइकिल की सवारी नहीं कर पायेंगी. झारखंड में 2019-20 से साइकिल का वितरण नहीं हो पा रहा है. 2021-22 में भी कमोबेश यही स्थिति उत्पन्न हो गयी है. साइकिल खरीद के लिए बजट का 244 करोड़ रुपये विभाग में पड़ा हुआ है. प्रत्येक वर्ष 120 करोड़ से अधिक का प्रावधान साइकिल खरीद के लिए किया जाता है. 2021-22 में साइकिल की आपूर्ती का टेंडर ही सरकार फाइनल नहीं कर पायी है. जनजातीय कल्याण आयुक्त का पद भी खाली पड़ा है. तत्कालीन जनजातीय कल्याण आयुक्त ने साइकिल के टेंडर में एकमात्र कंपनी के पार्टिसिपेट करने पर अंतिम निर्णय नहीं लिया था.
लुधियाना के साइकिल निर्माण कंपनी ने साइकिल के टेंडर प्रक्रिया पर उटाया था सवाल
झारखंड सरकार ने आठवीं औऱ् नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली सभी छात्राओं को साइकिल देने का निर्णय ले रखा है. इस व्यवस्था के तहत अनारक्षित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्ग की बच्चियों को साइकिल खरीदने की राशि उनके खाते में सीधे हस्तांतरित कर दी जाती है. कल्याण विभाग की तरफ से 2021 के अंत में साइकिल खरीद की टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू की गयी थी लेकिन, लुधियाना स्थित साइकिल निर्माण की कंपनी रॉक स्टॉर इंडस्ट्री ने साइकिल के टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया था. कंपनी की ओर से इस संबंध में झारखंड सरकार के आदिवासी कल्याण आयुक्त, मुख्य सचिव झारखंड को पत्र लिख कर साइकिल खरीद की पूरी टेंडर प्रक्रिया पर आपत्ति जता दी थी.
कंपनी का आरोप था कि किसी एक व्यक्ति-कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर की पूरी प्रक्रिया में गड़बड़ी की गयी है. इस पर तत्कालीन टीडब्ल्यूसी ने यह कहा था कि टेंडर में एकमात्र कंपनी ने पार्टिसिपेट किया है. इसलिए टेंडर को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता है. अब यह देखना है कि 31 मार्च के पहले साइकिल खरीद की निविदा को अंतिम रूप दिया जा सकेगा अथवा नहीं.