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हज़ारीबाग/डेस्क: मानसून के साथ सर्पदंश के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. बता दें, मानसून के समय में बिलों में पानी भर जाता है. जिससे सांप बिलों से बाहर आते हैं और इंसानों के संपर्क में आते ही उसे हानि पहुंचाते हैं. बारिश के महीने जून से सितंबर तक सर्पदंश के सर्वाधिक घटनाएं होती हैं.
हज़ारीबाग सदर अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, अब तक सर्पदंश के 101 मामले सामने आये हैं. जिसमें 3 लोगों ने अपनी जान भी गंवा दी है. ग्रामीण इलाकों से जुलाई के महीने में सर्वाधिक सर्पदंश के मामले आते हैं. इसकी वजह सांप के प्राकृतिक पर्यावास में खेती की गतिविधियों का बढ़ जाता है. पर्यावास में जुताई, बुवाई की गतिविधि चल रही होती है. जिससे निचले क्षेत्र में पानी का भरना और तेज धूप के कारण सांप सुरक्षित और सूखे सेल्टर की तलाश में ऊंचे स्थान पर बने घरों तक पहुंच जाते हैं.
स्नेक रेस्क्यूअर मुरारी सिंह ने बताया कि झारखंड में मुख्य रूप से तीन सांप नाग, सियरचंदा और करैत ही विषधर हैं, बाकि अन्य सांपो के बाइट करने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होनें यह बताया कि बारिश के दिनों में सभी तरफ घास उग जाते हैं, उनमें सांप छुपते हैं. 90 प्रतिशत बाइट पैर में होता है. इसलिए खाली पैर घूमने से बचें. घर के आसपास लकड़ी और ईंट की कबाड़ जमा नहीं होने दें. बरसात में जमीन पर सोने से परहेज करें.
इधर, हजारीबाग सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. सरयू प्रसाद सिंह ने बताया कि स्नेक बाइट एक मात्र कारगर और विश्वसनीय दवा एंटी वेनम सीरम (एवीएस) है. यह सदर अस्पताल और प्रखंड मुख्यालय के अस्पताल में उपलब्ध है. स्नेक बाइट होने के तुरंत बाद मरीज़ को अस्पताल लेकर आये. जहां आपको समुचित इलाज होगा. साथ ही लोगो से अपील करते हुए कहा कि स्नेक बाइट होने पर ओझा तांत्रिक के चक्कर में ना पड़े.