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रांची: झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से आवंटित खान मामले की वैधता और सुनने योग्य होने (मेंटेनेबिलिटी) पर सुनवाई शुरू. सर्वोच्च न्यायालय ने 24 मई को हुई सुनवाई में मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट को अधिकृत किया है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सूजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मनरेगा घोटाले और अवैध माइनिंग से आये पैसे को शेल कंपनियों के नाम से खर्च करने के मामले पर भी सुनवाई शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तीनों याचिकाओं के मेरिट पर भी सुनवाई हो रही है . सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैँ. हाई कोर्ट ने कहा पहले maintainibilty पर सुनवाई होगी
कौन-कौन सी है रिट याचिका
1. WP (PIL) 727 of 2022
2. WP (PIL) 4290 of 2021
3. WP (PIL) 4362 of 2019
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झारखंड हाईकोर्ट में तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है. सबसे खास बात है कि इसमें सत्ता के शीर्ष पर काबिज व्यक्ति पर ही अपने पद का दुरुपयोग कर खान लेने का आरोप लगा है. इसके अलावा उनके भाई पर भी दुमका में दो स्टोन माइंस में पार्टनर होने की बातें कही गयी हैं. साथ ही राज्य में हो रहे अवैध खनन से हो रही कमाई का भी जक्रि किया गया है. इसमें 10 से अधिक लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है. कहा गया है कि 45 से अधिक शेल कंपनियों के जरिये अवैध कमायी को इधर-उधर किया गया है, जिसमें रवि केजरीवाल नामक शख्स का हाथ है. इसके अलावा मनरेगा घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की भी मांग की गयी है, जो 2007-08 से लेकर 2011-12 तक खूंटी और चतरा जिले में हुई है. सरकार की तरफ से दिये गये हलफनामे में इन तीनों याचिकाओं पर सवाल उठाते हुए उसे खारिज करने की मांग की गयी है. खान आवंटन और मनरेगा घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी कहा है कि उनके पास हुए भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत हैं. इस भ्रष्टाचार के जरिये मनी लाउंड्रिंग भी की गयी है, जिसमें शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया गया है.