नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञों का कहना है कि रिसर्च बताते हैं कि 12 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों में Covid -19 संक्रमण का खतरा छोटे बच्चों की तुलना में वैक्सीनेशन के लिए उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए. बच्चों के लिए स्कूल भी चरणबद्ध तरीके से खुलना चाहिए. यानी पहले प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे और बाद में माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए स्कूल खोला जाना चाहिए.
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को करना होगा पालन
ICMR विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूल खुलना चाहिए लेकिन, छात्रों को अभी भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को पालन करना होगा. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Journal of Medical Research) के अनुसार इस बात का पर्याप्त सबूत हैं कि 1-17 साल की आयु के बच्चों में वयस्कों की तरह ही हल्के रूप के समान संवेदनशीलता होती है. हालांकि, बच्चों में गंभीर बीमारी और मृत्यु दर का खतरा कम होता है. भारत में जून 2021 में आयोजित COVID-19 के लिए राष्ट्रीय सेरोसर्वे के चौथे दौर से पता चला कि 6 से 17 साल की उम्र के आधे से अधिक बच्चे सेरोपोसिटिव थे, जो दर्शाता है कि उनमें से काफी अनुपात SARS-CoV-2 से संक्रमित था.
बच्चों द्वारा मास्क पहनने के संबंध में दिशा-निर्देश
वही स्वास्थ्य मंत्रालय ने विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों द्वारा मास्क पहनने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं. पांच 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हाइल मास्क की सिफारिश नहीं की जाती है, 6 और 11 के बीच के लोग सुरक्षित रूप से उपयोग करने की उनकी क्षमता के आधार पर मास्क पहन सकते हैं और 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को वयस्कों के समान ही मास्क पहनना चाहिए.
बच्चों को AC से बचना चाहिए
CMR का कहना है कि COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त वेंटिलेशन महत्वपूर्ण है इसलिए, स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इनडोर स्थान अच्छी तरह हवादार हैं और जहां भी संभव हो छात्रों द्वारा बंद सेटिंग में बिताए गए समय को सीमित करें. एयर-कंडीशनर से बचना चाहिए, जबकि संभावित प्रसार को कम करने के लिए नकारात्मक दबाव बनाने के लिए कक्षाओं में एग्जॉस्ट पंखे लगाए जाने चाहिए.