संबंधित कारा से आरोपी को रीलिज करने का दिया गया आदेश
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने एडिशनल सेशन जज बेरमो रमेश कुमार श्रीवास्तव के फैसले को खारिज कर दिया है. अदालत ने सेशन ट्रायल के दौरान कौशर अंसारी को 10 साल की सजा सुनायी थी. आरोपी रहे कौशर अंसारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. न्यायमूर्ती आर मुखोपाध्याय और जस्टिस राजेश कुमार की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए 11 अगस्त 2012 को कौशर अंसारी को 10 साल की सजा और 10 हजार के जुर्माने के फैसले को सेट ए साइड कर दिया. अदालत ने आरोपी को संबंधित कारा से रीलिज करने का आदेश देते हुए हस्तक्षेप याचिका भी खारिज कर दिया. अदालत को जानकारी दी गयी कि मामले पर खेशमा खातून का फर्द बयान बतौर फर्द बयान रिकार्ड किया गया. जिसमें बताया गया कि आरोपी उनका रिश्तेदार था और वे किराये के मकान पर आठ महीने तक रहा. गवाह खेशमा खातून ने जानकारी दी थी कि पीड़ित युवती की उम्र 16 वर्ष थी. वह हमेशा पीड़ित युवती के घर में झगड़ा होने की बातों की पुष्टि की.
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फर्द बयान में यह भी कहा गया कि नवाडीह पुलिस थाना कांड संख्या 66 ऑफ 2006 के तहत कौशर अंसारी को आरोपी बनाया गया. कोचवाटांड़ पंचायत के सदर कासिम अंसारी ने पंचायत में कमरूद्दीन अंसारी के लगाये गये आरोपों पर डीएनए जांच कराने का फैसला सुनाया था. पर पंच का फैसला कमरूद्दीन अंसारी ने नहीं माना. वे बार-बार कहते रहे की उनकी बेटी के साथ कौशर ने जानबूझ कर शारीरिक संबंध बनाये. पंच के सामने आरोपी कौशर ने एक राशि भी जमा की, ताकि वे खुद को डीएनए टेस्ट के जरिये अपने को निर्दोष साबित कर सकें. पंचायत ने शारीरिक संबंध औऱ रेप की घटना को गलत पाया था. पर कमरूद्दीन अंसारी बार-बार इस बात की दुहाई देते रहे कि किरायेदार रहते हुए कौसर ने कमरे में बेटी को बुलाया और दोनों के संबंधों की वजह से मेरी बेटी प्रेग्नेंट हो गयी. पंचों के क्रास एग्जामिनेशन के दौरान यह भी बताया गया कि कौशर अंसारी तीन बच्चों का पिता है. पंचों के सामने कमरूद्दीन अंसारी की पत्नी संदीजा खातून ने कहा कि उन्हें उनकी बेटी ने सारी बातें बतायी. उनकी बेटी की उम्र मात्र 16 वर्ष की थी, जब यह घटना हुई. संदीजा खातून ने भी कौशर पर बेटी से विवाह का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने की बातें कहीं. जब कोई नतीजा नहीं निकला, तो पंचायत ने प्राथमिकी दर्ज कराने का सुझाव दिया. मामले पर पीड़ित युवति का बयान दर्ज करने की बातें कहीं. मामले पर जांच अधिकारी भांगा उरांव की रिपोर्ट भी पेश की गयी. रिपोर्ट में कहा गया कि 22 अगस्त 2006 को मामला डिपोज्ड किया गया और गवाहों के बयान लिये गये. रेफरल अस्पताल बेरमो में पीड़ित युवती के मेडिकल एग्जामिनेशन रिपोर्ट भी जमा की गयी.