रांची: रघुवर काल में कंसलटेंट बिना किसी प्रॉपर प्लानिंग के प्रॉपर रिसर्च के और प्रॉपर फील्ड वर्क के और बिना उपयोगिता के ही पुल बना दिया करते थे. मेंटेनेंस का प्रोजेक्ट में कोई प्रावधान नहीं किया जाता था. जिनमें से अधिकांश पुल निर्माण के फौरन बाद ही ध्वस्त हो गए. ऑडिटर जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
ग्राम सेतु योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी
झारखंड के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने वर्ष 2014 से लेकर 2019 के बीच झारखंड में विभिन्न विभागों द्वारा निर्माण योजनाओं की विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट जारी की है. जो पिछली सरकार यानी रघुवर सरकार का कार्यकाल था. विशेष तौर पर मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना का हाल सबसे बुरा था. कंसलटेंट डीपीआर बनाते थे. बिना किसी ग्राउंड रिसर्च के, बिना स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इजाजत के और बिना उपयोगिता के ही, पुल का निर्माण शुरू कर दिया जाता था. रिपेयरिंग एंड मेंटेनेंस का कोई करार नहीं किया जाता था.
नतीजतन अधिकांश पुल निर्माण की प्रक्रिया में ही ध्वस्त हो गए और कुछ बाद में गुमला जिले में नटवाल दीना सड़क, सिसई का बाल खटंगा लो रंगो सड़क, रायडी प्रखंड में मरियम टोली सरना टोली का क्षतिग्रस्त पुल इसकी मिसाल है.रोड डिवीजन गुड्डा में एक बैंक गारंटी फ्रॉड प्रकाश में आया. जब सूरत की एक कंपनी ने रोड डिवीजन को 5 पॉइंट 6 करोड़ का बैंक गारंटी दिया जो फॉल्स था. अधिकारियों ने 13 करोड़ का अग्रिम भुगतान भी कर दिया.
छात्रवृत्ति में भी बड़ा घोटाला किया
कल्याण विभाग के अधिकारी ने चतरा में एक बड़ा फ्रॉड किया. जब डीबीटी के माध्यम से स्कॉलरशिप मद में पचासी करोड़ रुपए ट्रांसफर किए. रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया और कहा कि कागजात जल गए. यहां टोटल 15 करोड का भ्रष्टाचार दिखाई दिया.
जीटीडीसी ने बिना प्लानिंग के गैर जरूरी भवन बनवाए
पर्यटन कला संस्कृति विभाग में भी कई बड़े घोटाले अमल में आए जेटीडीसी ने 40 जगह भवन बना दिए जो आज तक वीरान पड़े हुए हैं उनकी उपयोगिता ही नहीं थी आज वह भवन स्थानीय लोगों की प्रॉपर्टी बने हुए हैं. जिसमें सरकार का करीब 40 से 50 करोड़ बेफिजूल खर्च हुआ. मतलब साफ है की सिर्फ कमीशन के लिए अधिकारियों ने योजनाएं स्वीकृत कराकर फॉर्म निर्माण कार्य शुरू कर दिया. कंसलटेंट बड़े पैमाने पर बहाल किए गए. जिन के कॉन्ट्रैक्ट का भी प्रॉपर डिटेल मौजूद नहीं है. बाहर की कंपनियों को बड़े पैमाने पर नॉमिनेशन के आधार पर काम दिया गया और उनमें से अधिकांश ने फर्जी बैंक गारंटी भी दी गई.
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