न्यूज 11 भारत
रांची: झारखंड में बालिकाओं को साइकिल मिलेगी अथवा नहीं. इस पर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. कोरोना काल से ही झारखंड के सरकारी विद्यालयों में पढ़ रही आठवीं, नौवीं और 10वीं के छात्राओं को साईकिल नहीं मिली है. 2020-21 के बाद से लगातार यह तीसरा वर्ष है, जब साईकिल वितरण को लेकर कल्याण विभाग की तरफ से अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है.
इस दौरान 10वीं कक्षा के दो वर्षों की छात्राएं उत्तीर्ण कर इंटरमीडिएट अथवा ऊंची कक्षाओं तक पहुंच गयी हैं. कल्याण विभाग की तरफ से प्रत्येक वर्ष 120 करोड़ रुपये का बजटीय उपबंध भी किया जाता रहा है. तीन लगातार वित्तीय वर्ष का पैसा सरकार के पीएल खाते में जमा है.
कल्याण विभाग ने संकल्प जारी कर कहा है कि कक्षा 8, 9 और 10 में पहुंच चुके छात्रों को पीएल खाते में जमा राशि से साइकिल दी जाएगी. यानी 2020-21 में 8वीं में रहे और अब 10वीं में पढ़ रहे छात्र अगर पास कर स्कूल छोड़ गए तो भी साइकिल दी जाएगी.
साइकिल वितरण को लेकर कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन के पास फाइल भी भेजी गयी है. राज्य मंत्रिमंडल की तरफ से दूसरी बार साइकिल वितरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है. एक साल तीन वर्षों के लिए 10 लाख साइकिल देने की सरकार ने कार्यक्रम तय किया है.
सूत्रों के अनुसार साइकिल वितरण को लेकर निकाला गया टेंडर दो बार रद्द किया जा चुका है. पहली बार हरियाणा की कोहिनूर कंपनी ने एकल निविदा डाली थी. इसके बाद तकनीकी और 25-50 लाख का कारोबार करनेवाली कंपनी को छूट दिये जाने की बातों को लेकर टेंडर रद्द किया गया.
चौकाने वाली बात यह है कि 25-50 लाख टर्न ओवर वाली कंपनी को वरीयता देने की शर्त पर जिस कंपनी ने टेंडर भरा वो भी बड़ी संख्या में एक साथ साइकिल देने में असमर्थता जता दी है. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार में बच्चों को साइकिल के लिए 3500 रुपए डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में भेजे जाते थे. अब हेमंत सोरेन सरकार ने साइकिल खरीद कर लाभुकों को साइकिल वितरित करने का फैसला लिया.