न्यूज11 भारत
रांची: फर्जी प्रीति हत्याकांड के मामले में उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए पीड़ित अजीत कुमार को 5 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने अजित कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश देते हुए कहा कि सही तरीके से जांच किए बिना किसी को जेल भेज देना गंभीर मामला है.
याचिकाकर्ता अजित कुमार ने दोषी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और मुआवजा देने की मांग करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता आकाशदीप ने न्यायालय में कहा कि पुलिस की लापरवाही के वजह से पीड़ित का करियर बर्बाद हो गया. अभी तक सरकार की ओर से पीड़ित युवक के पुनर्वास के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. सुनवाई के बाद अदालत ने युवक को 5 लाख रुपए हर्जाना देने का निर्देश दिया.
जानिए, क्या है पूरा मामला
बता दें, 15 फरवरी 2014 को रांची के चुटिया की रहने वाली प्रीति नाम की एक युवती लापता हो गई थी. वहीं, 16 फरवरी 2014 को बुंडू से एक युवती का शव बरामद हुआ. शव पूरी तरह जली हुई थी. शव अज्ञात था, पुलिस ने प्रीति के परिजनों को पहचान करने को कहा. कद-काठी लगभग एक जैसी होने के कारण परिजनों ने प्रीति के शव होने की आशंका जताई थी. जिसके बाद पुलिस ने डीएनए मैच कराए बिना मान लिया कि शव प्रीति का है. युवती की हत्या के आरोप में पीड़ित को जेल जाना पड़ा था वह कुछ ही दिनों बाद अपने घर लौट आई थी. सीआईडी की जांच के बाद इस केस के अनुसंधानकर्ता सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन चुटिया थाना प्रभारी कृष्ण मुरारी और तत्कालीन बुंडू थाना प्रभारी संजय कुमार को निलंबित किया गया.