न्यूज 11 भारत
रांची: झारखंड में कांग्रेस की अंदरुनी पखवाड़े में बड़ा घमासान मच गया है, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चार नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है. बता दें कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति के अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा पर पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है.
इनमें पूर्व प्रवक्ता आलोक दुबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव, डॉ राजेश गुप्ता "छोटू" और साधुशरण गोप शामिल हैं. इन नेताओं को तत्काल प्रभाव से अगले छह वर्षों के लिये झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के द्वारा पार्टी से निलंबित कर दिया गया है. इस बारे में कार्यालयी आदेश भी जारी कर दिया गया है. निलंबित नेताओं की तरफ से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ मुहिम छेड़ी गयी थी. इस बाबत प्रदेश स्तर पर अनुशासन समिति गठित की गयी थी.
मालूम हो कि चारों कांग्रेसी नेता पिछले दिनों प्रदेश नेतृत्व और झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे थे. यहां तक कि इन चारों ने राजेश ठाकुर के गृह जिले बोकारो में जाकर प्रेस वार्ता भी किया था. इसके बाद प्रदेश अनुशासन समिति ने इनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
बता दें निष्कासित होने वाले सभी नेता नेता प्रदेश कमेटी में पदाधिकारी भी है. पार्टी विरोधी कार्यों में लिप्त रहने और प्रदेश नेतृत्व खिलाफ गलत बयानबाजी को देखते हुए पार्टी की अनुशासन समिति ने बीते दिनों इन्हें शो कॉज करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा था. लेकिन इन चारों में से किसी ने भी अपना पक्ष नहीं रखा था.
वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चारो नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, इन चारों से पार्टी विरोधी गतिविधियों और प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी के संबंध में सवाल पूछे गए थे. साथ ही 14 दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को कहा गया था. लेकिन इनकी ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इन चारो नेताओं की प्राथमिक सदस्यता निलंबित रखने और दोबारा से इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने पर हमेशा के लिए पार्टी से बाहर करने की चेतावनी भी दी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के पद भार ग्रहण करने के बाद से ही पार्टी के भीतर उनका विरोध शुरू हो गया था.
आरोप है कि इस विरोध को आलोक दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता और साधु शरण गोप ना केवल बढ़ावा दे रहे थे, बल्कि प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के अंदर फूट डालने की भी कोशिश कर रहे थे. अपनी मर्यादा को पार कर यहां तक कि इन नेताओं ने सीधे तौर पर पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ लगातार बयानबाजी भी की. बता दें कि इसमें प्रदेश अध्यक्ष पर पूर्व प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह से जुड़े होने का आरोप लगाया गया है. मालूम हो कि आरपीएन सिंह कांग्रेस छोड़ कर अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.