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रांची: सोमवार को हाईकोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य की पुलिस पर कड़ी टिप्पणी की है. जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने राज्य सरकार सभी पुलिस पदाधिकारियों के लिए कैप्सूल कोर्स कराएं ताकि उन्हें अभियुक्तों की गिरफ्तारी से जुड़े सभी पहलु की जानकारी मिल सके. आए दिन पुलिस लोगों को गिरफ्तार करने के बाद उनके परिजनों को गिरफ्तारी का कारण नहीं बताती है. यह भी नहीं बताती कि गिरफ्तार व्यक्ति को क्यों और कहां ले जाया जा रहा है. अदालत ने सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए बताया कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गयी है.
पिछले दिनों मध्य प्रदेश पुलिस ने बोकारो से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किय था. लेकिन उस गिरफ्तारी की पूरी जानकारी गिरफ्तार किए गए अभियुक्त के परिजनों को नहीं दी गई थी. जिसके बाद उनकी पत्नी नीलम चौबे ने अधिवक्ता हेमंत सिकरवार के माध्यम से झारखंड हाईकोर्ट में हेवियस कॉपस दायर किया था. अधिवक्ता हेमंत सिकरवार के मुताबिक, सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा दायर किए गए शपथ पत्र को देखकर ऐसा लगता है कि जानबूझकर दूसरे राज्य की पुलिस को अभियुक्त को ले जाने दिया है, जो कि गलत है.