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झारखंड


कोरोनाकाल में योद्धा बना RIMS का Ambulance

‘जब हम छिपकर थे, तब वे तत्पर थे’
कोरोनाकाल में योद्धा बना RIMS का Ambulance

सत्यव्रत किरण/न्यूज़11भारत


रांची: दूसरों को मिले मंजिल इस लिए खुद मुसाफिर हो गया. निकल पड़ा उस राह पर जिसमें साथी को मोक्ष दिला पाये. सफर तो लोगों की खत्म हो जाती है मगर इन एम्बुलेंस चालको का सफर खत्म ही नहीं होता. स्वास्थ्य सेवा की पहली सीढ़ी होती है किसी भी अस्पताल का एम्बुलेंस. मरीज की जान बचाने में एम्बुलेंस चालक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. समय पर अस्पताल पंहुचाना इन्ही एम्बुलेंस चालकों का काम होता है. रिम्स के इन एम्बुलेंस के पहिये हर दिन केवल इसलिए घूमते है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. रिम्स के ये एम्बुलेंस ऐसे आर्थिक रूप से असमर्थ लोगों की सहायता करते हैं जिन्हें अपने मरीज़ को लेकर घर जाना रहता था या जिन्हें अपने परिजनों के शव को दाह-संस्कार के लिए अंतिम यात्रा पर जाना था. 24 घंटे तत्पर रहने वाले ये एम्बुलेंस हमेशा से लोगों के लिए वरदान साबित हुए हैं.


आर्थिक रूप से कमजोर 1,500 से ज्यादा शवों का किया अंतिम संस्कार

 

कोरोनाकाल मे रिम्स के एम्बुलेंस चालक एक योद्धा की तरह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. सेवा करते-करते कई एम्बुलेंस चालक संक्रमित हुए. इसके बावजूद कोरोना इनके हौसले को झुका ना सका. सरकार द्वारा रिम्स में इलाज के दौरान मृत होने वाले शवों के सम्मान के लिए निशुल्क मोक्ष वाहन की सुविधा दी जाती है. पिछले कोरोना काल से लेकर अब तक जरूरतमंद, आर्थिक रूप से कमजोर, 1,500 से ज्यादा शवों को अंतिम संस्कार के लिए झारखंड के कोने-कोने तक पंहुचाया गया.

 

रिम्स कई लोगों के लिए है वरदान

 

भले ही रिम्सकर्मियों पर कई तरह के आरोप लगाए जाते हो मगर इन सभी विवादों के बीच कुछ ऐसे लोग भी है जो हर दिन पूरी ईमानदारी और शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभाते हैं और ऐसे ही कर्मियों के कारण रिम्स राज्य के कई लोगो के लिए एक वरदान की तरह है. डॉ राकेश रंजन सिंह ने कहा कि रिम्स के एम्बुलेंस चालकों के द्वारा किया गया काम अतुल्य है. अपने बारे में न सोचते हुए इन्होंने उस वक्त लोगों की सहायता की है जब लोग एक दूसरे को छुने से डरते थे. हम इनका सम्मान करते हैं और न केवल रिम्स, पूरा झारखंड आज एम्बुलेंस चालकों के ड्यूटी को देख नतमस्तक है.

 

 

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