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रांची: गुरूवार (25 मई) को बिरसा मुंडा कॉलेज खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता सम्मेलन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फिर से सरना धर्म कोड की मांग की और कहा कि कुडूख और मुंडारी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा और देश के सर्वोच्च पद पर बैठीं एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मौजूद हैं. मैंने सरना धर्म कोड संबंधित विधेयक केंद्र के पास भेजा गया है उसे मंजूरी दिलाएं.
बता दें, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लंबे समय से झारखंड में आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग उठाते रहे हैं. पिछले साल यह कानून केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने जनजातीय कार्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कामों की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि उनके कार्यकाल में झारखंड में आदिवासियों के विकास के लिए काम होगा.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आदिवासी समाज आज भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है. जनजातीय मंत्रालय को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि आदिवासियों की आय को कैसे बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन झारखंड की पहचान है. पूरा राज्य खनिज संसाधनों से परिपूर्ण है. यहां कोयला, अभ्रक और एल्युमीनियम के भंडार हैं. झारखंड के खनिज से पूरा देश रोश है जबकि यहां के ग्रामीण इलाकों में 2 वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता है. कोरोना महामारी के बाद वापस पटरी पर लौटने के लिए जद्दोजहद जारी है. उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार ने आदिवासियों के उत्थान के लिए काम करना शुरू किया तो पता चला कि राज्य गठन के बाद 20 वर्षों में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया. पिछले 20 वर्षों में किसी भी सक्रिय संगठन या फेडरेशन ने आदिवासियों के उत्थान के लिए काम नहीं किया.