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रांची: झारखंड के सबसे बड़े कर दाता, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी चाहे तो विश्व के किसी भी बड़े अस्पताल में अपना इलाज करा सकते हैं. मगर यह जान कर आपको हैरानी होगी कि धोनी को लोकल वैद्य की दवां सूट कर रही है. माही जंगल में उपलब्ध जड़ी बुटियों से तैयार दवा का सेवन कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, उनके दोनों घुटनों में दर्द है. वैद्य की दवा खाने के बाद धोनी को आराम मिला है. वे दवा खाने के लिए खुद गाड़ी ड्राइव कर वैद्य के पास जाते है. एक सामान्य व्यक्ति की तरह माही पेड़ के नीचे बैठने वाले वैद्य की दवा खा रहे हैं.
माही चार खुराक खा चुके है दवा
जी हां, धोनी अपना इलाज लापुंग के एक लोकल वैद्य से करा रहे है. वैद्य का नाम है बाबा बंधन सिंह खरवार है. वैद्य के अनुसार, माही के शरीर में कैल्सीयम की कमी है. जिस वजह से घुटनों में दर्द हो रहा है. धोनी वैद्य से चार खुराक दवा खा चुके है. एक खुराक की कीमत 40 रुपए है. दवा की हर खुराक के बाद धोनी ने वैद्य को 40 रुपए का भुगतान किया. इससे पहले उस वैद्य से धोनी के माता-पिता अपना इलाज करा रहे थे. तकरीबन चार माह तक धोनी के माता-पिता ने वैद्य की दवा खाई. अब माता-पिता के घुटनों में दर्द नहीं के बराबर है. माता-पिता के सफल इलाज के बाद धोनी ने भी उस वैद्य की दवा खाना शुरू किया है. वैद्य के अनुसार, यह दवा जंगल में उपलब्ध जड़ी बुटियों से तैयार होती है.
26 जून को दवा की खुराक खाने पहुंचे धोनी, तो लग गई भीड़
अगर, आपको पता चलेगा कि रांची से 70 किलोमीटर की दूर खुद गाड़ी चलाकर महेंद्र सिंह धोनी सड़क किनारे दवां खाने जाते है, तो आपको आश्चर्य होगा. मगर यह सच है. रांची के नजदीक लापुंग है. वहां बाबा गलगती धाम है. उसी के नजदीक है कातिंगकेला, जहां एक पेड़ के नीचे वैद्य बाबा बंधन सिंह खरवार बैठते है. कई बीमारियों का इलाज करते है. रोजाना दर्जनों लोग अपनी-अपनी बीमारी का इलाज कराने, दवा खाने पहुंचते हैं. बैद्य खुद रोजाना जंगल की जड़ी बुटियों से दवा तैयार करते है. ताजा दवा मरीजों को खाने के लिए देते हैं. वैद्य ने बताया है कि धोनी से पहले उनके माता पिता दवा खाने आते थे. तकरीबन चार माह तक उन्होंने दवा खाई. उनको जो परेशानी थी, वह समाप्त हो गई. उसके बाद धोनी आए. वैद्य के मुताबिक, धोनी के माता पिता ने कभी भी अपना परिचय नहीं दिया.
माही को नहीं पहचान पाए वैद्य खरवार
वैद्य बताते है कि धोनी भी आए, तो हम नहीं पहचान पाए. एक सामान्य व्यक्ति की तरह आए. अपनी परेशानी बताई. मैंने दवा दी, तो वह आराम से खा गए. एक खुराक के 40 रुपए भी दिए. जब आसपास के लड़के उनकी गाड़ी देखकर आए, तब मुझे पता चला कि वह धोनी है. वैसे गरीबों से 20 रुपए लेते है, जो सक्षम लोग है उनसे 40 रुपए लेते है. क्योंकि सुदूर गांव से कई ऐसे मरीज आते है, जिनके पास इलाज और दवा के पैसे तक नहीं रहते. उन मरीजों का इलाज हम नि:शुल्क करते हैं. 26 जून को धोनी आए थे, फिर वे दवा खाने आएंगे. वे पिछली बार आए थे, तो भीड़ लग गई थी.