न्यूज 11 भारत / सरफराज कुरैशी
रांचीः कोरोना महामारी से होने वाली मौत के अंतिम संस्कार के लिए शवों को भी लाइन लगनी पड़ी थी. शव इतने अधिक थे कि सड़कों पर लोग शवों को जलाने को मजबूर हो गए थे. कई चुनौतियों का सामना करते हुए लोगों ने अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार कराया था. कोरोना संक्रमण से लोगों की लगातार मौत और शवों को जलाने की वजह से राजधानी के हरमू रोड स्थित मुक्तिधाम के शवदाह गृह का इलेक्ट्रोनिक मशीन भी खराब हो गया था जिसे आनन-फानन में ठीक कराया गया था. लेकिन उसके बाद भीर कई बार शवों के अंतिम संस्कार करने में समस्या आती रही. इसके अलावे दूसरी ओर नामकुम में भी शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. इस बीच रात-दिन यानी 24 घंटे वाहनों की आवाजाही होती रही. कोरोना काल के दूसरे फेज में लोगों में मंडरता संक्रमण और लोगों की मौत पर शवों को जलाने का यह मामला आप किसी से नहीं छिपा है शवों के दाह-संस्कार को लेकर हुई परेशानी आप सभी जानते हैं. यहां तक कि कई जगहों पर तो कोरोना पॉजिटिव मृतक के अंतिम संस्कार का विरोध भी होने लगा था. यह बातें रांची ही नहीं पूरे राज्य में सुनने को मिली थी. इस परेशानी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने सभी शहरी क्षेत्र में कम से कम एक विद्युत शवदाह गृह निर्माण करने की योजना बनाई थी. जिस पर अमल किया जा रहा है.
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इसी बीच अब रांची में हरमू मुक्तिधाम के अलावा एनएच-33 से सटे बूटी मोड़ स्थित जुमार नदी में भी मॉर्डन शवदाह गृह का निर्माण होगा. जिससे अब शव का अंतिम संस्कार कराने में परेशानियां नहीं होगी. आरआरडीए रांची की ओर से जुमार नदी में मॉर्डन शवदाह का निर्माण कराया जाएगा. 6,60,69,431 रुपए की लागत से इसके निर्माण को लेकर आरआरडीए ने टेंडर जारी कर दिया है. 8 अगस्त को वेबसाइट पर टेंडर का पब्लिकेशन होगा. 29 अगस्त तक ऑनलाइन टेंडर भरा जा सकता है. 30 अगस्त को हार्ड कॉपी जमा ली जाएगी. जबकि 1 सितंबर को दिन के 12.30 बजे टेंडर खोला जाएगा.
बढ़ती आबादी को लेकर नया शवदाह गृह जरूरी
राजधानी के प्रमुख श्मशान घाट मुक्तिधाम की स्थापना दशकों पूर्व की गई थी. बताया जाता है कि तब शहर की आबादी महज तीन लाख के करीब थी. मगर शहर की बढ़ती आबादी के कारण इस मुक्तिधाम पर दबाव बढ़ता जा रहा है. मुक्तिधाम के आसपास भी घनी आबादी बस चुकी है. स्थानीय नागरिकों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में हरमू स्थित आधुनिक शवदाह गृह के अलावा शहर के अन्य इलाकों में भी आधुनिक शवदाह गृह का निर्माण होने से आम लोगों को काफ आसानी होगी. शवदाह के लिए क्रिमेशन मशीन लगाई जाएगी.
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राज्य के सभी निगम क्षेत्र में विद्युत शवदाह गृह का निर्माण
कोरोना जैसी महामारी के दौरान होने वाली मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार में लोगों को परेशानी न हो इसके लिए राज्य के सभी शहरों में कम से कम एक विद्युत शवदाह गृह के निर्माण की योजना राज्य सरकार ने बनाई है. इसके तहत इस साल मार्च महीने में ही राज्य के 16 नगर निकायों में विद्युत शवदाह गृह जो गैस से संचालित होंगे. उसका निर्माण कराने को लेकर टेंडर भी जारी कर दिया गया था. धनबाद, चास, कोडरमा, गिरिडीह, आदित्यापुर, चाईबासा, सरायकेला, जुगसलाई, धनबाद, चास, कोडरमा, गिरिडीह, चतरा, लातेहार, लोहरदगा, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, दुमका और गोड्डा में निर्माण कार्य हो रहा है. बताते चलें, राज्यभर के नगर निकायों में बनने वाले विद्युत आधारित शवदाह गृह का मॉडल एक होगा. इस मॉडल को लेकर जुडको ने डीपीआर तैयार किया है. इस मॉडल के तहत एक शवदाह गृह के निर्माण में 2,94,57,208 रुपए की लागत आएगी. सभी शवदाह गृह (GAS FIRED) होंगे.