न्यूज11 भारत
रांचीः झारखंड राज्य खनिज विकास निगम का बैलेंस शीट और पीएल एकाउंट सात साल से प्रकाशित नहीं हुआ है. 2014-15 के बाद से कंपनी का वित्तीय स्टेटमेंट और बैलेंस शीट नहीं बन रहा है. निगम के अधिकारियों के अनुसार कंपनी के महाप्रबंधक वित्त के पद पर आलोक कुमार चौधरी पोस्टेड हैं. ये भी बैलेंस शीट के प्रकाशन और प्रोफिट एंड लॉस एकाउंट के नहीं बनने पर कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं. इसकी वजह से झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की तरफ से कंपनी रजिस्ट्रार और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को भी वित्तीय स्थिति की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. कंपनी का मुनाफा 2007-08 में 30 करोड़ हुआ था, जबकि 20018-09 में यह 25 करोड़ तक पहुंच गया था. कंपनी उसके बाद से लगातार घाटे में चल रही थी. अब कंपनी का मुनाफा 15 करोड़ के आसपास पहुंच गया है.
ये भी पढ़ें- टीम इंडिया ने पांच मैचों की टी-20 सीरिज का पहला मैच जीता
सूत्र बताते हैं कि न्यायालय के मामलों और अन्य वजहों से जेएसएमडीसी को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है. कंपनी पर पिछले दस वर्षों में न्यायालयों के फैसले की वजह से करोड़ों रुपये का जुर्माना देना पड़ा है. इसके अलावा लगातार प्रबंध निदेशकों के बदलने से भी कंपनी की स्थिति खराब हुई है. निदेशकों के नहीं रहने से भी बैलेंस शीट में कंपनी का कारोबार रीफ्लेक्ट नहीं हो पा रहा है. कंपनी की वेबसाइट भी अप-टू-डेट नहीं है. इतना ही नहीं कंपनी का मासिक वेतन भुगतान एक करोड़ रुपये से ऊपर है. कंपनी की अधिक परियोजनाएं घाटे में चल रही हैं. सिर्फ बालू घाटों और कोयले की आपूर्ति से कंपनी को नियमित आय हो रही है. 2017 के बाद से अब तक बालू घाटों की नीलामी नहीं हो सकी है. जबकि जेएसएमडीसी की तरफ से स्टोन माइंस के खदानों के ऑक्शन का सिलसिला लगातार जारी है.