रांची : रांची विश्वविद्यालय सिंडिकेट की बैठक गुरुवार को वीसी प्रो कामिनी कुमार की अध्यक्षता में हुई. जिसमें पिछले 10 साल से अस्थाई रूप से कार्यरत 36 थर्ड और फोर्थ ग्रेड कर्मियों की सेवा नियमित की गई. यह सभी कर्मी आरयू के मुख्यालय और पीजी विभाग में अपनी सेवा दे रहे थे. सिंडिकेट की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद सेवा नियमित हुए कर्मियों की सूची को सिल बंद कर दिया गया.
सिंडिकेट द्वारा जिन कर्मचारियों की सेवा नियमित हुई है, उनके वेतन निर्धारण की प्रक्रिया शुरू होगी. वेतन निर्धारण के बाद प्रस्ताव को शिक्षा विभाग को भेजा जाएगा. 18 सितम्बर के बाद स्थायी नौकरी से सम्बंधित अधिसूचना जारी होगी.
आरयू ने स्थाई नौकरी प्रदान करने के लिए कर्मचारियों की वरीयता लिस्ट विशेष कमेटी ने तैयार किया था. सिंडिकेट की बैठक में कमेटी द्वारा तैयार लिस्ट को रखा गया था. बैठक में वीसी के अलावा डीएसडब्ल्यू डॉ. राजकुमार शर्मा, साइंस डीन डॉ ज्योति कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. मुकुंद चंद मेहता समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे.
इन शर्तों के आधार पर अस्थाई कर्मियों की नौकरी हुई पक्की
- सभी कर्मियों की नौकरी 10 साल पूरी हो गई थी.
- विज्ञापन के माध्यम से हुई थी नियुक्ति.
- नियुक्ति में झारखंड हाईकोर्ट का बना आधार.
सिंडिकेट के निर्णय पर उठने लगे सवाल
स्थाई नियुक्ति से संबंधित सिंडिकेट द्वारा लिए गए निर्णय पर अभी से सवाल उठने लगे हैं. आरयू मुख्यालय, पीजी विभागों और अंगीभूत कॉलेजों में कंप्यूटर ऑपरेटर का एक भी पद सृजित नहीं है. इसके बाद भी जिन कर्मचारियों की सेवा नियमित की गई है, उसमें कंप्यूटर ऑपरेटर भी शामिल हैं.
10 साल पूरा कर चुके 450 कर्मियों को था स्थाई नौकरी का इंतजार
आरयू के अंतर्गत 14 अंगीभूत कॉलेज आते हैं. इन कॉलेजों और विवि को मिलकार 450 अधिक अनुबंध कर्मी 10 साल से सेवा दे रहे है. अब सवाल उठने लगा है कि नियुक्ति प्रकिया में दोहरा मापदंड अपनाया गया है. चहेतों की नौकरी स्थाई कर दी गई, लेकिन 450 अनुबंध कर्मियों के बारे में नहीं सोचा गया.