मामला : 2014 से निर्माणधीन एनटीपीसी का चंदवा नॉर्थ कर्णपूरा सुपर पावर प्रोजेक्ट और ट्रांसमिशन लाइन का
फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण चंदवा के नॉर्थ कर्णपूरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट से जेबीवीएनएल को बिजली मिलने का मामला लटका
पीपीए के अनुसार पूरे क्षमता का 50 प्रतिशत बिजली बिहार-झारखंड को मिलना है, जिसमें कम से कम 500 मेगावाट झारखंड को मिलेगा
अगर इससे बिजली मिलनी शुरू हो जाए तो झारखंड की बिजली समस्या का हल बहुत हद तक हो सकती है दूर
प्रोजेक्ट इनचार्ज का दावा फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलते ही ड़ेढ़ से दो माह में तैयार हो जाएगा
कौशल आनंद/न्यूज़11 भारत
रांची: मात्र 5-6 किमी फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण झारखंड कम से कम 500 मेगावाट बिजली से वंचित हो जा रहा है. जिस प्रकार से अभी झारखंड सहित पूरे देश में पावर संकट चल रहा है. ऐसी स्थिति में अगर यह बिजली अभी जेबीवीएनएल को मिल जाती तो बहुत हद तक संकट कम हो सकता था. मगर केवल 5-6 किमी ट्रांसमिशन लाइन का काम अधूरा होने के कारण यह बिजली झारखंड जेबीवीएनएल को नहीं मिल रहा है.
यह है पूरा मामला
दरअसल एनटीपीसी का वर्ष 2012-13 में बिहार और झारखंड सरकार के साथ पावर प्रचेज एग्रीमेंट (पीपीए) हुआ था.पीपीए के तहत कुल उत्पादित बिजली का 50 प्रतिशत बिहार और झारखंड को मिलना है. पीपीए के बाद वर्ष 2014 में एनटीपीसी ने नॉर्थ कर्णपूरा सुपर पावर प्राजेक्ट के तहत चंदवा 1980 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने का काम शुरू हुआ. जो पिछले वर्ष ही बनकर तैयार है. इसके तहत पावर प्लांट के साथ-साथ चंदवा प्लांट से लेकर टंडवा तक 35 किमी का ट्रांसमिशन लाइन बनना है. जिसमें 5-6 किमी को छोड़कर ट्रांसमिशन लाइन भी तैयार हो चुका है. मगर केवल 5-6 किमी ट्रांसमिशन लाइन का काम अधूरा होने के कारण इससे झारखंड को 500 मेगावाट बिजली नहीं मिल पा रही है.
फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिला तो दो माह में शुरू हो जाएगी बिजली आपूर्ति
सेंट्री इलेक्ट्रिक ऑथेरिटी ट्रांसमिशन लाइन का काम एजेंसी के माध्यम से करा रहा है. जिसमें 5-6 किमी छोड़कर बाकी लाइन का काम पूरा हो चुका है. मगर महज थोड़े से एरिया के फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण पूरा पावर प्रोजेक्ट ही थमा हुआ है. इस संबंध में नार्थ कर्णपूरा पावर प्रोजेक्ट के प्लांट हेड तजेंद्र गुप्ता ने बताया कि हमारी ओर से कोई कमी नहीं है. प्लांट भी तैयार हो चुका है. 27 मार्च को इसका टेस्टिंग और अन्य औपचारिकताएं भी पूर्ण हो चुकी है. केवल 5 से 6 किमी ट्रांसमिशन लाइन का काम बाकी रहने के कारण बिजली आपूर्ति शुरू नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि इसी महीने मई में फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर बैठक होनी है. अगर क्लीयरेंस मिल जाता है तो डेढ़ से दो महीने में काम पूरा हो जाएगा और बिजली आपूर्ति शुरू हो जाएगी.
झारखंड अभी जूझ रहा है पावर क्राईसेस से
देश में कोयले और बिजली संकट के कारण झारखंड फिलहाल पावर क्राईसेस से जूझ रहा है. पिछले पखवाड़े से झारखंड कम से कम 500 मेगावाट बिजली कमी से जूझ रहा है. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि सेंट्रल पावर एक्सचेंज से 15 रूपए यूनिट तक बिजली खरीदने कको जेबीवीएनल मजबूर हो गया है. हालांकि पिछले तीन चार दिनों से मौसम परिवर्तन के साथ डिमांड कुछ घटी है, जिससे राहत मिली है मगर अभी गर्मी का मौसम एक माह से अधिक है. आने वाले दिनों में संकट कायम रहने की संभावना है. इस स्थिति में नार्थ कर्णपूरा से अगर पावर मिलनी शुरू हो जाती तो निश्चित ही राहत वाली बात होती.