अधिकारी निजी विद्यालयों को भूमि बाध्यता के नाम पर बंद करने की धमकी देना बंद करें: आलोक कुमार दूबे, महासचिव, प्रदेश कांग्रेस
न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने राज्य सरकार से मांग की है कि भाजपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा किए गए आरटीई कानून में संशोधन को तुरंत निरस्त किया जाए और पूरे देश में लागू मूल आरटीई कानून को झारखंड में भी उसी स्वरूप में लागू किया जाए.
उन्होंने कहा कि मूल आरटीई कानून में केवल यह व्यवस्था है कि विद्यालय का भवन ऐसा होना चाहिए जो सभी मौसमों में संचालित हो सके. परंतु झारखंड में मनमाने ढंग से भूमि की बाध्यता लागू कर दी गई, जबकि न तो केंद्र सरकार और न ही अन्य राज्यों में ऐसी शर्त है. “सरकारी विद्यालयों पर भूमि की बाध्यता नहीं है, तो निजी विद्यालयों को इस शर्त के नाम पर परेशान करना शिक्षा के अधिकार की भावना के खिलाफ है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि निजी विद्यालयों ने झारखंड जैसे पिछड़े और आदिवासी बहुल राज्य में शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाया है. “इन विद्यालयों की वजह से लाखों गरीब, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. यदि इन्हें भूमि की बाध्यता के नाम पर बंद किया गया, तो शिक्षा का लोकतंत्रीकरण खत्म हो जाएगा और राज्य की बड़ी आबादी अंधकार में धकेल दी जाएगी.”
उन्होंने आगे कहा कि-
शिक्षा पर सीधा असर: झारखंड के हजारों निजी विद्यालय बंद होने की स्थिति में लाखों बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी.
रोज़गार का संकट: हजारों शिक्षक, कर्मचारी और स्टाफ बेरोजगार हो जाएंगे.
राज्य पर बोझ: सरकार पर लाखों बच्चों को सरकारी विद्यालयों में समायोजित करने का दबाव बढ़ेगा, जिसके लिए न तो पर्याप्त भवन हैं, न शिक्षक.
अन्यायपूर्ण भेदभाव: जब सरकारी विद्यालयों पर कोई भूमि की बाध्यता नहीं है, तो निजी विद्यालयों को इसका पालन करने के लिए मजबूर करना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है.
गुणवत्ता का मुद्दा: अधिकांश निजी विद्यालयों में आधुनिक लैबोरेट्री, पुस्तकालय, टॉयलेट और अन्य आवश्यक सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं, जबकि कई सरकारी विद्यालयों में इनकी भारी कमी है.
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि राज्य सरकार को शिक्षा व्यवस्था के हित में इस भूमि बाध्यता को तुरंत समाप्त करना चाहिए. “निजी विद्यालयों को खत्म करने का मतलब होगा—शिक्षा खत्म करना, रोजगार खत्म करना और झारखंड के भविष्य को अंधकारमय करना. कांग्रेस पार्टी इस अन्यायपूर्ण नीति के खिलाफ आवाज उठाती रहेगी.”
आलोक कुमार दुबे ने कहा कि हमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूरी आशा है कि वे निजी विद्यालयों के हितों को ध्यान में रखते हुए भाजपा शासनकाल में लाए गए भूमि बाध्यता कानून को निरस्त करेंगे. “झारखंड सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा व्यवस्था को और मज़बूत बनाए, न कि छोटे-छोटे विद्यालयों पर अनावश्यक दबाव डाले,” उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों को तुरंत निजी विद्यालयों को भूमि बाध्यता के नाम पर बंद करने की धमकी देना बंद करना चाहिए. “झारखंड के हज़ारों छोटे-छोटे निजी विद्यालय ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा का महत्वपूर्ण साधन हैं. इन्हें डराना या बंद करने की कोशिश करना शिक्षा विरोधी कदम है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.