NEWS11 स्पेशलPosted at: मई 05, 2022 अदालत में उपस्थित हुए उद्योग सचिव, HC ने पूछा क्यों नहीं दी गई औद्योगिक प्रोत्साहन राशि
जस्टिस केपी देव ने कहा कि 7.4.2022 के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड के आरएम कृष्णा फोरिजिंस लिमिटेड सरायकेला को औद्योगिक नीति 2001 के तहत प्रोत्साहन राशि नहीं दिये जाने के मामले को गंभीरता से लिया है. जस्टिस केपी देव अदालत ने कहा है कि रिट याचिका 2011 में दायर की गयी थी. ऐसे में रिट याचिका के न्यायादेश का अनुपालन क्यों नहीं हो रहा है. अदालत ने सात अप्रैल को ही याचिका के मेरिट के आधार पर औद्योगिक प्रोत्साहन दिये जाने की बातें कही. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस देव ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव भी मामले पर दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि उद्योग सचिव की लेटलतीफी की वजह से कोर्ट की सुनवाई प्रभावित हो रही है.
कोर्ट को जानकारी दी गयी कि इंडस्ट्रीयल इंसेंटिव पालिसी 2001 के तहत झारकंड में मेगा औद्योगिक इकाईयों का विस्तार किया गया. पहले
याचिकाकर्ता कंपनी ग्रुप ए में थी. उसे बदल कर ग्रुप 2 में डाल दिया गया. 21 जनवरी 2009 को इंसेंटिव की राशि के लिए कंपनी की ओर से आवेदन दिया गया. पर उद्योग विभाग की तरफ से याचिकाकर्ता के आवेदन को ही गुम कर दिया गया. इसके बाद दो जून 2009 को झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. 22 जून 2009 को उद्योग निदेशक ने एक जांच कमेटी गठित कर दी. 18 जुलाई 2009 को पीटिशनर के पक्ष में जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी. इसके बाद 16 जनवरी 2010 को उद्योग निदेशक मे कहा कि एम कृष्णा इंटरप्राइजेज की नयी इकाई ले उत्पादन होने लगा है. कंपनी के प्लांट से ऑटो कंपोनेंट का क्राउन व्हील बनाया जा रहै है. अदालत ने कहा कि इंडस्ट्रीयल इंसेंटिव पालिसी 2001 और मेगा इंडस्ट्रीज पालिसी 2005 के तहत आवेदन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. इसको लेकर पूरी राज्य सरकार जिम्मेवार है.