न्यूज़11, भारत
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीया रूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. 28 सितंबर 2022 को मां चंद्रघंटा की पूजा का दिन है. देवी चंद्रघंटा की कृपा से साधक को निर्भय और पराक्रमी बनने की शक्ति मिलती है. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग, भोग, महत्व और कथा.
शारदीय नवरात्रि 2022 मुहूर्त
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि आरंभ- 28 सितंबर 2022, सुबह 02:28
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त - 29 सितंबर 2022, सुबह 01:27
मां चंद्रघंटा की पूजा का सुबह मुहूर्त - 04.42 AM - 05.30 AM
शाम का मुहूर्त - 06.05 PM - 06.29 PM
रात का मुहूर्त - 09.12 PM - 10.47 PM
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
जिन लोगों की कुंडली में मंगल कमजोर हो उन्हें मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए. इससे मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाएंगे.
देवी के इस रूप की पूजा से साधक के सारे पाप खत्म हो जाते हैं.
मां की कृपा से उसे कभी बुरी शक्तियां परेशान नहीं करती. साहस के साथ सौम्यता और विनम्रता में वृद्धि होती है.
मां चंद्रघंटा का नाम कैसे पड़ा
मां चंद्रघंटा का रूप अलौकिक है.सिंह पर सवार देवी चंद्रघंटा के 10 भुजाएं हैं जिसमें त्रिशूल, तलवार, धनुष, गदा आदि अस्त्र-शस्त्र लिए हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है. देवी के माथे पर घंटे का आकार का अर्द्धचंद्र स्थापित है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता. माता ने दैत्य और असुरों का वध करने के लिए अवतार लिया था.
मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग
मां चंद्रघंटा को नारंगी रंग बहुत पसंद है. कहते हैं नारंगी रंग के वस्त्र पहनकर देवी की पूजा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. भय से मुक्ति मिलती है.
मां चंद्रघंटा का भोग
देवी दूध से बनी मिठाई जैसे खीर, रबड़ी का भोग लगाएं. मान्यता है इससे शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है. साधक को आध्यात्मिक शांति मिलती है.
मां चंद्रघंटा का फूल
देवी चंद्रघंटा की पूजा में शंखपुष्पी का फूल अर्पित करें.
मां चंद्रघंटा का मंत्र
बीज मंत्र - ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रार्थना मंत्र - पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
पूजा मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।