न्यूज11 भारत
रांची: सरना धर्म कोड को लेकर आज मोरहाबादी मैदान में आदिवासियों का महा जुटान हुआ. ये आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के बैनर तले प्रदर्शन करने के लिए आज रांची में एकत्र हुए थे साथ ही विभिन्न आदिवासी संगठनों की सरना धर्म कोड महारैली का आयोजन किया गया. बता दे इस महा रैली में झारखंड सहित नेपाल, भूटान, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और बिहार के आदिवासी भी शामिल हुए हैं. मालूम हो कि इस महारैली के जरिये आदिवासी संगठन केंद्र सरकार और भाजपा से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं.
वहीं इस महारैली को डॉक्टर करमा उरांव, रवि तिग्गा, बालकु उरांव, अजित टेटे, नारायण उरांव, रेणु तिर्की, निर्मल मरांडी, भगवान दास, सुशील उरांव, अमर उरांव सहित कई लोगों ने संबोधित किया. वहीं सभी ने एक साथ आह्वान किया कि कोड नहीं तो वोट नहीं. गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा हावी रहेगा. इस महारैली को संबोधित करते हुए सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासी ना तो हिंदू है और ना ही सनातन. इसलिए आदिवासियों को समाप्त करने की साजिश जो हो रही है वो बंद हो.
इस देशभर में 12 करोड़ से अधिक आदिवासियों का अपना धर्म, अपनी संस्कृति, अपने संस्कार अपनी पूजा पद्ध्ती अपना पूजा स्थल और अपने रीति रिवाज हैं, जो हिंदू लॉ के अनुसार नहीं से नहीं चलते हैं. इसलिए आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड लागू किया जाना चाहिए ये आवश्यक है. इसके साथ ही उन्होने चेतावनी दी कि अगर केंद्र की मादी सरकार ऐसा नहीं करेगी तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. जहां तक डीलिस्टिंग की बात है तो डीलिस्टिंग होनी चाहिए.
लेकिन केवल सरना से ईसाई बने आदिवासियों की नहीं बल्कि हिंदू जैन बौद्ध बने आदिवासियों का भी डीलिस्टिंग किया जाना चाहिए. आगे अपने संबोधन में बंधन तिग्गा ने कहा कि साजिश के तहत आदिवासियों को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. इसके अलावे उन्होंने कहा कि 2011 में देशभर में लगभग 50 लाख आदिवासी अपना धर्मकोड जनगणना प्रपत्र में दर्ज कराया.
वहीं दुनियाभर में 40 लाख से अधिक लोगों ने सरना धर्म कोड अंकित कराये.जिसके बाद यह नहीं कहा जा सकता कि आदिवासी हिंदू या सनातनी हैं. उन्होंने मोरहाबादी के मंच कहा कि जब तक जनगणना प्रपत्र में अलग से सरना धर्म कोड नहीं होगा, तब तक हमलोग राष्ट्रीय जनगणना होने नहीं देंगे. सरना धर्म कोड के लिए आर-पार की लड़ाई होगी और हम लोग हर सरहद पार करने को तैयार है.
जानिए क्या है आठ सूत्री मांग
झारखंड सरकार ने 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा से पारित करके सरना धर्मकोड प्रस्ताव भेजा है. इसे केंद्र सरकार अविलंब लागू करें.
देश में 12 करोड़ से अधिक आदिवासी रहते हैं, पूरे देश में करीब 700 जनजातीय समुदाय हैं. आदिवासियों को हिंदू बनाने की साजिश बंद हो.
पेसा कानून और टीएसी मजबूती से लागू हो.
आदिवासियों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जमीन को चिन्हित करके उसे सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार राशि का आवंटन करें.
आदिवासियों की जमीन पर वाहनों का अवैध कब्जा हो रहा है. सादा पट्टा पर अवैध तरीके से जमीन की खरीद बिक्री हो रही है. जमीन संबंधी रिकॉर्ड से ऑनलाइन छेड़छाड़ हो रहा है. इसे रोकने के लिए राज्य सरकार पहल करे.
आदिवासी महिला गैर आदिवासी पुरुष से विवाह करती है तो उस महिला को आदिवासी स्टेटस अधिकार से पूरी तरह वंचित किया जाये.
झारखंड में वन पट्टा कानून की स्थिति बहुत लचर है. अब तक 25% लोगों को भी वन अधिकार कानून के तहत वन पट्टा नहीं मिला है. राज्य सरकार जल्द से जल्द इसे देने का काम करे.
रघुवर दास की सरकार ने गांव के उपयोग की जमीनों को लैंड बैंक बनाकर अधिग्रहण करने का काम किया है. इसलिए सरकार लैंड बैंक कानून को वापस ले.