Friday, Apr 26 2024 | Time 14:16 Hrs(IST)
 logo img
  • जर्जर सड़क के कारण घर तक नहीं पहुंचा एंबुलेंस, दर्द से तड़पती रही महिला
  • सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार को राहत
  • क्या भारत में बंद होगा WhatsApp? दिल्ली हाईकोर्ट में कंपनी ने दी चेतावनी
  • हजारीबाग में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था चरमराई, गर्मी में जनता बेहाल
  • हजारीबाग में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था चरमराई, गर्मी में जनता बेहाल
  • अर्जुन मुंडा ने सिमडेगा के रामरेखा धाम में पूजा कर लिया जीत का आशीर्वाद
  • लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी की 40 स्टार प्रचारकों के नाम की लिस्ट, देखें पूरी सूची
  • एमजीएम अस्पताल ने मरीज का जीवित व्यक्ति की जगह बना दिया डेड सर्टिफिकेट
  • सिद्धू कान्हू मुर्मू पार्क के समीप पाकुड़ में छात्रों ने पाकुड़-दुमका मुख्य सड़क किया जाम, वार्ता के बाद अवागमन चालू
  • कौन है पीतल के उत्पादों पर बारीक आर्ट में महारत हासिल करने वाले पद्मश्री बाबुराम यादव ?
  • पलामू: चार बच्चों के पिता ने एक लड़की का किया यौन शौषण
  • पलामू: चार बच्चों के पिता ने एक लड़की का किया यौन शौषण
  • Jharkhand Weather Update: झारखंड में पांच दिनों तक गर्मी से राहत नहीं, कई जिलों में हीट वेव का अलर्ट
  • दो परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का आरोप, एसडीओ से लगाई न्याय की गुहार
  • दो परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का आरोप, एसडीओ से लगाई न्याय की गुहार
NEWS11 स्पेशल


जांच में खुलासा: कोल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गायब कर दिए वित्तीय दस्तावेज

वन विभाग के अफसरों ने कागजी हेराफेरी कर पहुंचाया 1824.5 करोड़ का अनुचित लाभ
जांच में खुलासा: कोल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गायब कर दिए वित्तीय दस्तावेज
अमित सिंह/न्यूज11 भारत




रांची: झारखंड की पहचान जल, जंगल और जमीन थी. मगर कुछ लालची अफसरों की वजह से अब इस राज्य की पहचान धूमिल हो रही है. भ्रष्टाचार, कमिशनखोरी और अवैध कारोबार से प्रदेश का नाम जुड़ रहा है. ऐसे में वन विभाग का एक बड़ा मामला सामने आया है. वन विभाग के अफसरों ने कोल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए वित्तीय दस्तावेज गायब कर दिया. अफसरों ने सरकारी दस्तावेज सिर्फ इसलिए गायब किए ताकि वे कोल कंपनियों को फायदा पहुंचा सके. कोल कंपनियों को अरबों का फायदा पहुंचाने के लिए वन विभाग के अफसरों ने सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया. यह खुलासा सरकार की जांच में हुआ है. इसके बाद पूरे मामले की विस्तृत जांच वन विभाग द्वारा की गई. उसके बाद पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन कर सरकार जांच करवा रही है. फाइनल रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है. प्रारंभिक जांच में ही वन विभाग के अफसरों की हेराफेरी सामने आ गए है.

 


 

वन विभाग के अफसरों वित्तीय दस्तावेजों में हेराफेरी कर कोल कंपनियों को 1824.5 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाने का काम किया है. नार्थ कर्णपुरा की केरेडारी कोल माइनिंग परियोजना से जुड़ा है. इस क्षेत्र में खनन के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए 2050 करोड़ की समेकित वन्यजीव प्रबंधन परियोजना बनाई गई थी. वित्तीय दस्तावेज गायब कर योजना की लागत 225.25 करोड़ कर दी गई. पहले इसका खुलासा वन विभाग की आंतरिक जांच में हुआ. राज्य सरकार द्वारा कराए गए व्यापक जांच में कई खुलासे सामने आ रहे है. सरकार की जांच जैसे-जैसे आगे बढ रही है, वैसे-वैसे इस हेराफेरी में शामिल अफसरों के हाथ पांच फुलने शुरू हो गए है. इस मामले का दबाने के लिए वन विभाग के अफसर मुख्यालय में जोर अजमाइस में लगे हुए है.

 

परियोजना से प्रदूषण की चपेट में पांच लाख आबादी

 

रांची, चतरा, लोहरदगा और हजारीबाग के 3.146 लाख हेक्टेयर में नॉर्थ कर्णपुरा कोल ब्लॉक का फैलाव है. इसके 55200 हेक्टेयर में 60 से 100 कंपनियां आने वाले समय में करेंगी. कोल ब्लॉक के आवंटन से पहले खनन के दुष्प्रभाव को काम करने के लिए समेकित वन्यप्राणी प्रबंधन योजना बनाई गई थी. वन विभाग के सर्वे के मुताबिक बड़े स्तर पर खनन से क्षेत्र की प्राकृतिक, वनस्पति, जैव संपदा, वन्यजीव, वन्यजीवों का रास्ता और पांच लाख की आबादी बुरी तरह प्रदूषण की चपेट में आएगी.

 

प्रदूषण के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए बनी थी योजना 

 

प्रदूषण के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए नवंबर 2015 में 2050 करोड़ की समेकित वन्यप्राणी प्रबंधन योजना तेयारी गई थी. योजना का वित्तीय लक्ष्य 10 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर खनन क्षेत्र निर्धारित किय गया. यह राशि खनन कंपनियों को मिलकर खर्च करना है. राज्य सरकार ने अगस्त 2018 में पीसीसीएफ वन्यजीव से नॉर्थ कर्णपुरा की समेकित योजना के अंतिम प्रारूप को स्वीकृति के लिए सौंपने का निर्देश दिया. पीसीएफ वन्यजीव का पदभार ग्रहण करने के बाद पीके वर्मा ने अध्ययन के दौरान पूरे खेल को पकड़ा था. अब नए सिरे से 2089 करोड़ की योजना बनाकर सरकार को भेजी गई. नए प्रस्ताव पर ही काम चल रहा है.

 

परियोजना के दुष्प्रभाव

 

-देश की सबसे बड़ी खनन परियोजना का वनस्पति, दो लाख हेक्टर वन और कृषि क्षेत्र, वन्यजीवों व उनके प्राकृतिक पर्यावास, पांच लाख की आबादी, जैव विविधता पर व्यापक दुस्प्रभाव पड़ेगा. 

-दामोदर नदी के तीन महत्वपूर्ण जल ग्रहण क्षेत्र तेनुघाट, उत्तरी कोयल, पलमीर और फलगू प्रभावित होंगी.
अधिक खबरें
महुआ के 'फूलों की खुशबू' से गरीबों के जीवन में आ रही 'खुशहाली'
अप्रैल 08, 2024 | 08 Apr 2024 | 1:56 AM

हजारीबाग में मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में जंगलों में महुआ के फूल गिरने लगते हैं. इन्हें इकट्ठा करने के लिए लोग मार्च से मई महीने में करीब 15 दिनों तक जंगल जाते हैं. इस दौरान महुआ के फूलों को चुनने के लिए पेड़ के नीचे की जमीन को साफ करने के लिए सूखे पत्तों में आग लगा दी जाती है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा से खास बातचीत, बेबाकी से रखी अपनी बात
अप्रैल 05, 2024 | 05 Apr 2024 | 9:36 AM

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने आवास ऋषभ वाटिका में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की राजनीति के अलावे देश के बड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. कहा कि 1984 में भले ही हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझे महज 10 हुजार 727 वोट दिया लेकिन मुझे इन वोटों के साथ एक निर्वाचन क्षेत्र मिल गया. मैं जब चाहूं हजारीबाग में भाजपा को दो फाड़ कर सकता हूं. इन 40 वर्षों के अपने इ

महुआ बन रहा ग्रामीणों के आर्थिक संरचना का आधार: बिचौलियों के कारण नहीं मिल रहा ग्रामीणों को उचित मूल्य
मार्च 28, 2024 | 28 Mar 2024 | 11:25 AM

झारखण्ड के दक्षिणी छोर पर बसे सिमडेगा की मुख्य आर्थिक संरचना वन उत्पादों पर आधारित है. कल कारखानों से रहित इस जिले मे मुख्य जीविका वनो से निकली उत्पादो पर ही अधारित हैं इन मे से सबसे महत्वपुर्ण उत्पाद महुआ है.

Summer Vacation: अगर आप भी गर्मी में कर रहे है घूमने का प्लान तो जरूर विजिट करें देश की ये बेस्ट जगहें
मार्च 18, 2024 | 18 Mar 2024 | 1:20 AM

हमारा भारत एक ऐसा देश है जहां हर मौसम में घूमने के लिए जगह बदल जाती है. अब लोगों को लगभग लगभग ठंड से राहत मिल गयी है. वहीं अब गर्मी का मौसम आने वाला ही है. ऐसे में लोग अभी से ही गर्मियों की छुट्टी में घूमने का प्लान बना लेते है. अगर आप भी घूमने का प्लान बना

महिलाओं को सफर में नहीं लेना होगा टेंशन क्योंकि अब साथ है 'मेरी सहेली'
मार्च 15, 2024 | 15 Mar 2024 | 3:21 AM

दिन-ब-दिन महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. ट्रेन हो या चाहे बस कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई तरह की योजना लाई जाती है. मेरी सहेली योजना भी एक ऐसी योजना है, जिसमें महिलाओं को यात्रा के समय सुविधाएं दी जाती है.