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रांची : जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान प्रशिक्षण रिसर्च एक्शन पायलट प्रोग्राम शुरू किया गया है. इसका उद्देश्य है कि आने वाले दिनों में झारखंड जैसे राज्य को जैविक खेती उत्पादक राज्य के रूप में पहचान मिले. जैविक खेती से उत्पादित होने वाली खाद्य फसल को लेकर वृहद आंदोलन कर इसे गांव-गांव तक पहुंचाने की पहल की जा रही है. वर्तमान में सूबे के 12 प्रखंडों में 113 किसानों के साथ रिसर्च एक्शन पायलट प्रोग्राम के तहत जैविक खेती आंदोलन की शुरूआत की गई है. इसके शुरू होने के बाद अब तक 250 किसान इस जैविक खेती आंदोलन में शामिल होकर जैविक खेती से अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं.
विभिन्न जिलों में कृषि वैज्ञानिक निभा रहे हैं अपनी भूमिका
जैविक खेती को लेकर कार्यक्रम गोला-रामगढ़, रायडीह-गुमला, जामताड़ा, गिरीडीह, बुड़मू-रांची, जरमुंडी-दुमका, खूंटी, पालकोट-गुमला, पेटरवार-बोकारो, पटमदा-पूर्वी सिंहभूम, छत्तरपुर-पलामू में चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में तकनीकी जानकारी के लिए कृषि शोध संस्थान से जुड़े पूर्व कृषि वैज्ञानिक भी अपना योगदान दे रहे हैं. इस आंदोलन में अग्रगति, अराउज, बदलाव फाउंडेशन, ग्रामिका इंडिया, झारखंड जंगल बचाओं आंदोलन, लोकदीप, लोक प्रेरणा, प्रदान, टैगोर सोसाइटी फॉर रुरल डेवलपमेंट व विकास सहयोग केंद्र काम कर रही है.
15 डिसमिल जमीन से हुई 20 हजार की आमदनी
चयनित प्रखंडों के किसान वर्ष 2021 फरवरी से इस जैविक खेती की मुहिम से जुड़े हैं. इस पद्धति को अपनाने से पहले किसानों को प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही फील्ड विजिट भी कराया गया. ताकि किसान इस पद्धति को देखकर अपनाने के लिए प्रेरित हो. इसके बाद उन्होंने जैविक कृषि के लिए अपने खेत को तैयार किया और खेतों में जैविक खाद देने के लिए जीवांश खाद व कीटनाशक बनाना शुरू किया. किसान को अपने पहले फसल खरीफ के मौसम में 15 डिसमिल जमीन से 20 हजार रुपये की आमदनी तक हो चुकी है. दो महीनें का घर के लिए सब्जी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी. प्रदान सिविल सोसाइटी के कोआर्डिनेटर प्रेमशंकर के मुताबिक झारखंड में रासायनिक खेती से हो रहे दुष्प्रभाव को रोकने के लिए व झारखंड में जैविक कृषि के संभावनाओं को देखते हुए राज्य के सभी प्रमंडलों में एक्शन रिसर्च पायलट शुरू की जा चुकी है. इससे किसानों को पोषण के साथ आमदनी भी हो रही है.