मुख्यमंत्री ने अपने कार्यालय का किया दुरुपयोग, संविधान की धारा 191(9) के तहत हैं दोषी
न्यूज 11 भारत
रांची: झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे खान आवंटन मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने एक बार फिर पूरक हलफनामा दायर किया है. शिव कुमार शर्मा की याचिका 727 ऑफ 2022 के तहत दायर ईडी के एफीडेविट में कहा गया है स्टोन माइंस से संबंधित संचिका खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से एक वरिष्ठ अधिकारी के पास भेजी गई थी. बाद में खाता संख्या 187, प्लाट संख्या 482 के 88 डिसमिल जमीन में यह माइंस आवंटित की गयी. ईडी ने कहा है कि याचिका में रीस्पांडेंट नंबर 7 और रीस्पांडेंट संख्या 8 ने एक बड़ा अपराध किया है. इसलिए मामले की सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय की संयुक्त जांच करानी जरूरी है. सीबीआइ को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह अवैध खनन मामले में शिव शंकर शर्मा की याचिका में आरोपी बनाये गये आरोपियों की संलिप्तता सार्वजनिक हो सके. क्योंकि इसमें आरोपी ने अपने आधिकारिक पद का न सिर्फ दुरुपयोग किया, बल्कि अवैध खनन किया गया और खुद सीएम हेमंत सोरेन ने पब्लिक प्रोपर्टी को नियम विरुद्ध बेचा गया.
ईडी की तरफ से कहा गया कि मुख्य मंत्री ने खान विभाग के मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर स्टोन माइंस प्राप्त किये. वह भी अपने नाम से. मुख्यमंत्री जो खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री भी हैं, वे भारतीय संविधान की धारा 191 (9) के तहत माइनिंग अथवा अन्य गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते हैं और इसमें पर्याप्त सबूत मिलने पर कार्रवाई करने का भी प्रावधान है. यह कार्रवाई प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 7 (ए), 13 (आइ) (डी) और भादवि की धारा 169 के तहत की जा सकती है. लोक प्रतिनिधत्व कानून 1950 की धारा 9 (ए) का भी यह सरासर उल्लंघन है, जिससे इनकी सदस्यता भी समाप्त होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा तय कोड ऑफ कंडक्ट का भी घोर उल्लंघन किया है.
ईडी मामले पर अपनी जांच कर रही है, जो जारी है. राज्य की खान सचिव रही पूजा सिंघल के ऊपर भी प्रीवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट के संगीन आरोप लगे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से खान आवंटन करने की भी बातें सामने आ रही है, जो रिट याचिका 727 ऑफ 2022 का मामला है और अदालत में विचाराधीन है. रिट याचिका 4290 ऑफ 2021 के तहत जिन 32 शेल कंपनियों का जक्रि किया गया है, यह कंपनी झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं. ईडी की तरफ से कहा गया है कि शेल कंपनियों से जुड़े लोगों को हाईकोर्ट से कई नोटिस सर्व किये गये हैं. इसका कोई जवाब नहीं दिया गया. यह एक जबरदस्त सबूत है, जिसमें संज्ञान लेने की आव्यकता है. ईडी की तरफ से शेल
कंपनियों के मामले में सीलबंद लिफाफा प्रस्तुत किया जा चुका है.
ईडी की एफीडेविट में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से मनरेगा घोटाले की भी जानच की जा रही है. इसीआइआर-पीएटी-14-2012 के तहत 16 प्राथमिकी खूंटी और अड़की थाने में दर्ज की गयी है. यह रिट याचिका 4632 ऑफ 2019 की रिट याचिका से संबंधित मामला है.