देर रात तक ढ़ोल-नगाड़े के बीच थिरके लोग
रांची: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज रांची वीमेंस कॉलेज (साइंस ब्लॉक) स्थित आदिवासी छात्रावास परिसर में प्रकृति पर्व करमा के अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व अपनी समृद्ध परंपरा , सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने का प्रतीक है. हम इस पर्व के माध्यम से अपनी सभ्यता और संस्कृति को और मजबूत बनाने का संकल्प लें. उन्होंने कहा कि करमा सिर्फ त्यौहार मात्र नहीं है, बल्कि यह कई संदेश भी हमें देता है. यह पर्व मानव जीवन का प्रकृति से अटूट लगाव को दर्शाता है. सदियों से मानव सभ्यता और प्रकृति के बीच के समन्वय को बताता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में चलना ही नृत्य है और बोलना ही गान है. करमा पर्व इसी की पहचान है.
आपकी ताकत से कोरोना को नियंत्रित करने में हो रहे कामयाब
मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग डेढ़ सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी को झेल रही है. इस वजह से पूरी व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई. झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहा, लेकिन आपके सहयोग और ताकत से हम कोरोना को नियंत्रित करने में कामयाब हुए हैं. झारखंड में कोरोना को काबू करने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए, वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गई. अब वैश्विक महामारी के इस दौर से आगे निकलते हुए विकास को रफ्तार देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
मांदर की थाप पर थिरके कदम
इससे पहले करमा परब आयोजन समिति के द्वारा मुख्यमंत्री का परंपरागत तरीके से स्वागत किया गया. मुख्यमंत्री ने करम राजा की पूजा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने मांदर पर थाप दी तो छात्र छात्राओं के कदम थिरक रहे थे. समारोह में मुख्यमंत्री को आयोजकों की ओर से सप्रेम औषधि पौधे भेंट किए गए.
भादो कर एकादशी करम गड़ाए रे… सहित कई करम गीतों के साथ अखरा गुंजायमान रहा. पूरे विधि-विधान के साथ नृत्य-संगीत के साथ प्रकृति पर्व करम की पूजा-अर्चना हुई. पूजा अर्चना के बाद देर रात अखरा में ढ़ोल-नगाड़ा के बीच लोग थिरकते रहे. पूरे शहर में करम पर्व की धूम रही. आदिवासी समाज में इसको लेकर उत्साह दिखा.
जावा उठाव के साथ शुरू पूजा विधि
हरमू सहजानंद अखरा में एक दिन पूर्व मिट्टी के बर्तन में रखे गए जावा फूल को अखरा में लाया गया. इसके बाद पुरूष वर्ग करम डाली को नृत्य करते हुए अखरा तक लाए और पूरे विधि के साथ उसे अखरा के पूजा स्थल में गाड़ा गया. धर्म बहनें जो उपवास में रही घर में पकवान बनायीं. इसके बाद अखरा में दीप जलाया गया. इसके बाद सामुहिक विनती, प्रार्थना शुरू हुआ. पाहन एवं पहनाईन ने करम कहानी शुरू किया. जिसे सरना धर्म बहनों से सुना. पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद का वितरण किया गया.
दुल्हन की तरह सजाया गया अखरा एवं सरना स्थल को
करम पूजा के लिए अखरा में सरना स्थल को दुल्हन की तरह सजाया गया. आकर्षक विद्युत सज्जा किया गया. साऊंड सिस्टम की भी व्यवस्था की गयी थी. आदिवासी महिलाएं लाल पाड़ साड़ी जबकि पुरूष धोती-कुर्ता एवं कंधे पर सरना गमछा ओढ़े नजर आए. पूरा महौल आदिवासी संस्कृति में सरोबर नजर आया.
कोविड गाइडलाइन का दिखा असर
सरना स्थलों में कोविड गाइडलाइन का असर दिखा. अधिकांश महिलाएं एवं लोग मास्क पहने नजर आए. सरना स्थल के स्टॉल पर सेनेटाइजर की व्यवस्था की गयी थी.
सौ से अधिक अखरा में हुई करम पूजा
राजधानी में सौ से अधिक अखरा में करम पूजा हुई. हरमू सरना स्थल, चडरी सरना स्थल, करम टोली सरना स्थल, वीर बुद्धू भगत आदिवासी बालक-बालिक हॉस्टल, वुमेंस कॉलेज, आदिवासी हॉस्टल, हेसल सरना समिति, हेहल सरना समिति, अरगोड़ा सरना समिति, पुन्दाग सरना स्थल, मधुकम सरना स्थल सहित शहर के करीब 100 से अधिक सरना स्थल के अखरा में करम पूजा का आयोजन किया गया.
कल होगा परना, करम डाली का होगा विसर्जन
18 सितंबर को परना (खान-पान) का आयोजन होगा. 18 को ही करम डाली का विसर्जन नृत्य-संगीत के साथ विसर्जन किया जाएगा. सरना धर्म बहनें एवं पुरूष नाचते-गाते हुए निकट के जलाशय में करम डाली का विसर्जन करेंगे.
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