किसके आदेश पर जुलूस पर 1986 से लगाया गया है रोक, आदेश दिखाए जिला प्रशासन, जाएंगे कोर्ट : ग्रामीण
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-महूदी में जब जुलूस पार बिना हो हल्ला और हंगामा के शांति के साथ पार हो हीं गया तो लौटने के क्रम में महिलाओं के साथ चल रहे जुलूस को घर जाने से क्यों रोक दिया गया. मंगलवार रात हुए हंगामा के बाद बड़कागांव के साथ साथ पूरे जिले में इस बात की चर्चा हो रही है, लोग सवाल पूछ रहे है कि यह प्रशासनिक विफलता को छिपाने की योजना है या फिर हंगामा खड़ा कराने की. इसे लेकर ग्रामीणों ने एक शिवलाल महतो और हरली के अजय कुमार, भाजपा के विशाल वाल्मीकि और अमन कुमार के नेतृत्व में एक प्रेसवार्ता का आयोजन कर जिला प्रशासन से इस पर जवाब मांगा है. ग्रामीणों ने यह भी कहा है कि 1986 में जब हिंदू मुस्लिम पक्ष में किसी से झगड़ा नहीं हुआ और मंगलवार को भी जुलूस पास करने के दौरान किसी ने हंगामा और विरोध नहीं किया तो फिर किसके आदेश पर पिछले 40 सालों से जुलूस पर रोक है. आखिर मंगलवार को घर जा रहे लोगों को रोकने और बैरेकेटिंग करने के पीछे का क्या उद्देश्य था. ग्रामीणों ने कहा कि जुलूस को लेकर वे कोर्ट जांएगे, जिला प्रशासन बताए कि आखिर किसके आदेश पर जुलूस पर रोक लगाया गया है, जिला प्रशासन को वह कोर्ट का आदेश दिखाना चाहिए, जिसके बाद हिंदू पक्ष के लोगों को जुलूस निकालने पर रोक है, बाकी अन्य समाज व जाति धर्म के लोगों को सारे कार्य करने की छूट.
कलश यात्रा में भी हो गया था हंगामा विवाद, थाना प्रभारी पर उठ रहे सवाल
जानकारी के अनुसार महुदी में हीं नहीं बल्कि ईद के ठीक एक दिन पूर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन भी बड़कागांव प्रंखड मुख्यालय में कलश यात्रा रोक दी गई थी. मुस्लिम पक्ष के लोगों ने बकायदा लाठी डंडे निकालकर लोगों को धमकाया भी थाा. पूरे मामले की जानकारी थाना प्रभारी को दी गई थी और इसके बाद भी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई थी. इसी तरह की लापरवाही मंगलवारा को भी महुदी में हुई, जिसे लेकर पुलिस और जिला प्रशासन अपनी साख बचाने का प्रयास कर रही है. सीधे थाना प्रभारी और बीडीओ बड़कागांव पर कई सवाल खड़े हो रहे है. जुलूस को लेकर ग्रामीण धरना पर थे तो वहां प्रशासनिक अमला क्यों नहीं था, यह भी सवाल है.