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रांचीः दीपों का पर्व दीपावली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनायी जाती है. इस साल दीपों का पर्व सोमवार 24 अक्टूबर को है. दीपावली पर प्रदोष काल में पूरे विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से सालों भर घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है. यह भी कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मां जल्दी प्रसन्न होती है और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती है. इस दिन मुख्य तौर पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, महाकाली की पूजा होती है. पुराणों के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और अपने भक्तों के घर विचरण करती हैं. इसलिए लोग दिवाली से पहले घर और आस-पास सफाई करते हैं. दिवाली में सफाई रहने से मां लक्ष्मी वहां ठहर जाती है. दिवाली वाले दिन कुबेर देवता की पूजा भी होती है.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा करने का शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि प्रारंभ- 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 27 मिनट पर
- अमावस्या तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर शाम 4 बजकर 18 मिनट तक
- दिवाली पूजा करने का शुभ मुहूर्त- 24 अक्टूबर शाम 7 बजकर 02 मिनट से 8 बजकर 23 मिनट तक (प्रदोष काल)
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
दीपावली पर चौघड़िया देखकर भी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसे में लाभ का मुहूर्त बहुत शुभ माना गया है. दिवाली की रात 10 बजकर 36 मिनट से प्रात: 12 बजकर 11 मिनट पर लाभ का मुहूर्त रहेगा.
- प्रदोष काल – शाम पांच बज कर 50 मिनट से रात 8 बज कर 23 मिनट तक
- वृषभ काल – शाम सात बज कर दो मिनट से रात्रि आठ बज कर 58 मिनट तक
- अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – शाम पांच बज कर 27 मिनट से शाम पांच बज कर 50 मिनट तक
- शाम मुहूर्त (चर) – शाम पांच बज कर 50 मिनट से शाम सात बज कर 26 मिनट तक
- रात्रि मुहूर्त (लाभ) – रात्रि 10 बज कर 26 मिनट से मध्य रात्रि 12 बज कर 11 मिनट तक
मां लक्ष्मी पूजा की विधि
- पूजा से पहले पूरे घर की सफाई कर लें. और घर पर गंगाजल का छिड़काव करें.
- घर को अच्छे से सजाये और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाये.
- जिस स्थान पर पूजा करना है वहां लकड़ी की चौकी रखें. और उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछाये.
- फिर वहां मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
- चौकी के पास पानी से भरा मिट्टी का कलश रखें.
- मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा पर तिलक लगाये.
- प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाये.
- दीपक जलाकर उन्हें जल, मौली,गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें.
- इसके बाद देवी सरस्वती, मां काली, श्री हरि और कुबेर देव की विधि विधान पूजा करें
- महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें.
- अंत में माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं.
- प्रसाद घर-परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें.