सरफराज कुरैशी/न्यूज 11 भारत
रांची: पुलिस के रूतबे और उससे किससे तो आप सुनते ही हैं. मगर छठ पूजा करने गए हों और घाट पर यह रूतबा देखने को मिले तो सोचिए कैसा लगेगा. दरअसल शहर के सभी तालाबों के किनारे छठ घाटों को लूटने की होड़ मची है. शहर के कई प्रमुख तालाब-डैम का न्यूज-11 की टीम ने जायजा लिया. टीम ने पाया कि अर्घ्य देने के लिए घाटों में अपना स्थान सुरक्षित करने के लिए लोग निशान लगा रहे हैं. अपना नाम-एड्रेस दर्शा कर साफ कर रहे हैं कि कोई अन्य व्यक्ति यहां अर्घ्य नहीं दें. मजेदार बात तो यह है कि घाटों पर अपना स्थान सुरक्षित करने में पुलिस वाले भी रौब झाड़ने से बाज नहीं आ रहे. घाट पर अपनी जगह रिजर्व करने के लिए अपना नाम ही नहीं, पद भी लिख दिए हैं. अपना रुतबा दिखाते हुए जैसे यह चेतावनी दे रहे हों… 'खबरदार यहां अर्घ्य देने की न सोचें, यह घाट हमारा है'.
निगम का आदेश भी बेअसर
छठ महापर्व आते ही तालाब-डैम में घाट को लूटने की होड़ मच जाती है. अपना नाम, फ्लैट नंबर और मोबाइल नंबर लिखकर एक तरह से उस पर अपना कब्जा कर लेते हैं. हालांकि, रांची नगर निगम की ओर से छठ घाटों को रिजर्व करने से पूर्व में ही मना किया गया है. दो हजार रुपए फाइन वसूलने की बात भी नगर निगम की ओर से कही गई थी. मगर खुलेआम छठ घाट पर कब्जा जारी है, इसके बाद भी निगम न तो जांच कर रहा है और न ही घाटों को रिजर्व करने वालों पर किसी प्रकार की कार्रवाई हो रही है. जबकि, निगम का कहना है कि पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर जो श्रद्धालु घाट पर पहले पहुंचेंगे वह मनचाहे स्थान पर अर्घ्य दे सकते हैं.
घाट की सुंदरता होती है खराब, झगड़े का रहता है डर
रांची नगर निगम की ओर से कई तालाबों का सौंदर्यीकरण कराया गया है. कई तालाब में नए घाट भी बनाए गए हैं. तालाब की बाउंड्री कराकर उसका रंग-रोगन भी कराया गया है. ऐसे में छठ घाट पर नाम लिखकर रिजर्व करने से उसकी सुंदरता खत्म हो जाती है. दूसरी ओर अगर किसी के रिजर्व किए घाट पर अर्घ्य देने के लिए पूजा सामग्री रखे तो झगड़े की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. घाट रिजर्व होने से जल्दी पहुंचकर भी श्रद्धालु को मनचाहा स्थान अर्घ्य देने के लिए नहीं मिलता.
केस स्टडी वन : रोक को दरकिनार कर बनाया निशान
कांके डैम पार्क में सीढ़ी पर छठ घाट के लिए अपना नाम लिखना मना है. ऐसा करते हुए कोई पकड़ा गया तो 501 रुपए का फाइन लिया जाएगा. यह आदेश प्रशासन के अनुसार है. यह चेतावनी बोर्ड पार्क के गेट पर लगा है. इसके बाद भी डैम के घाट पर लोगों ने अपना नाम लिखकर रिजर्व कर लिया.
केस स्टडी टू : पुराने निशान को ताजा कर दिया
जेल मोड़ तालाब के घाट भी रिजर्व हो गए हैं. इस पार्क को भी सुंदर बनाने के लिए नगर निगम ने बाउंड्री सहित सौंदर्यीकरण के अन्य कार्य कराए. मगर हर साल घाट पर कब्जा होने के कारण घाट रंग-बिरंगा हो गया है. कई लोग तो बीते साल बनाए निशान में सिर्फ 20 की जगह 21 लिखकर अपना कब्जा बरकरार रखे हुए हैं.
केस स्टडी थ्री : एक घाट पर पुलिस लाइन का कब्जा
लाइन टैंक रोड तालाब के घाट पर भी कब्जा है. यहां तो पुलिस लाइन के पदाधिकारियों ने अपना नाम ही नहीं, पद भी लिख दिया है. मतलब साफ है कि यह घाट पुलिस वालों के नाम पर रिजर्व है. इस घाट पर कोई भी अन्य व्यक्ति अर्घ्य देने की न सोचें, चाहे आप कितना भी पहले घाट पर क्यों न पहुंचे हों.