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रांची: 24 मार्च को राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में धूमधाम से प्रकृति पर्व सरहुल मनाई गई. इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दी. बता दें. प्रकृति पर्व सरहुल के मौके पर वे राजधानी का मुख्य सरना स्थल सिरम टोली, करमटोली सरना स्थल और आदिवासी हॉस्टल गए थे. जहां उन्होंने विधि के साथ सरहुल की पूजा-अर्चना की.
प्रकृति के संरक्षण लिए प्रेरित करता सरहुल पर्व- राज्यपाल
इधर, रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में भी सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण कार्यक्रम में शामिल हुए. कार्यक्रम में अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है. इनकी सभ्यता-संस्कृति अत्यंत समृद्ध है. जनजातीय समाज प्रकृति प्रेमी हैं. इनके हर पर्व-त्यौहारों और अनुष्ठानों में प्रकृति प्रेम साफ दिखाई देती है. राज्यपाल ने आगे कहा कि एक ओर जहां पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से चिंतित हैं, ऐसे समय में इस प्रकार के त्यौहारों की अहमियत और भी बढ़ जाती है. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि सरहुल का पर्व मानव को प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रेरित करता है.
जल-जंगल और जमीन है तभी हमारा वजूद है- सीएम हेमंत
कार्यक्रम में राज्यवासियों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन न कहा कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह बताती है कि प्रकृति पर्व सरहुल का आदिवासी समाज में कितनी अहमियत है. उन्होंने कहा कि सरहुल सिर्फ एक त्यौहार नहीं है. बल्कि प्रकृति से एक जुड़ाव का प्रतीक है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जल-जंगल और जमीन है तभी हमारा वजूद है. प्रकृति को अगर हम संरक्षित नहीं कर पाएंगे तो हमारे बाद आने वाली पीढ़ी को कई बड़ी-बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को रोकना होगा और इसके लिए हम सबको आगे आना होगा. सीएम ने कहा कि गांवों की तरह शहर भी हरा-भरा रहें. इस दिशा में हमें सामूहिक प्रयास करने की काफी जरूरत है.
छात्रावासों को सीएम की घोषणा
वहीं आदिवासी हॉस्टल के सरहुल समारोह में भाग लेते हुए और कई घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आदिवासी छात्रावासों को सुसज्जित साथ ही जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए छात्रावासों के जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू किया जा चुका है. इसके तहत सरकार की ओर से आदिवासी छात्रावासों को नया आयाम देने की कार्य योजना भी बन चुकी है. सीएम ने कहा कि छात्रावास में अलग-अलग 'मल्टी स्टोरी छात्रावास' बच्चे और बच्चियों के लिए बनेगा. जिसमें पढ़ाई करने वाले 500 लड़के-लड़कियों के रहने की अच्छी व्यवस्थाएं होगी. इस दौरान सीएम ने राजधानी के रांची वीमेंस कॉलेज के आर्ट्स और साइंस ब्लॉक के जीर्णोद्धार की भी घोषणा की.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरना और मसना स्थल आदिवासियों की आस्था से जुड़ी हैं. राज्य सरकार इन्हें संरक्षित रखने की दिशा में भी कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि सामाजिक धरोहरों को अखंडता अक्षुण्ण रखने में समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी. सरकार के प्रयास साथ ही आपके योगदान से ही हम अपने सामाजिक और धार्मिक धरोहरों को अलग पहचान दे सकते हैं. सीएम ने कहा सरहुल एक प्रकृति पर्व है जो हमें प्रकृति से जोड़े रखता है और इसके साथ ही यह अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति का सुखद अहसास भी कराता है. कारण यही है कि आदिवासी समाज सदियों से प्रकृति पूजा की परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं.