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रांची/डेस्कः रांची में कैथोलिक महाधर्मप्रांत के नए आर्चबिशप के रुप में विन्सेंट आईंद ने शपथ ग्रहण किया. उन्होंने 19 मार्च (मंगलवार) को रांची के पुरूलिया रोड स्थित लोयोला ग्राउंड में प्रतिष्ठापन समारोह में 7वें आर्चबिशप के तौर पर शपथ ग्रहण ली. इस मौके पर 28 बिशप जिनमें कोलकाता के बिशप थॉमस डिसूजा, दिल्ली के बिशप अनिल, डाल्टनगंज के बिशप थियोडोर मास्करेहंस, पटना के बिशप सेबेस्तियन सहित कई अन्य बिशप मौजूद रहे इसके साथ ही निवर्तमान आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो, सोसायटी ऑफ जीसस के प्रोविंशियल फादर अजीत खेस, उर्सुलाइन कान्वेंट की प्रोंवेंशियल सिस्टर ईवा जस्टीना रोमोल्डा और संत अन्ना धर्मसमाज की मदर सिस्टर लिली ग्रेस टोपनो भी शपथ समारोह में शामिल रहें.
विन्सेंट आईंद को आर्चबिशप बनाने को लेकर पोप फ्रांसिस ने भेजा था आदेश पत्र
इस शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में पोप फ्रांसिस के भारत और नेपाल के राजदूत नूनसियो लियोपोल्दो जेरेल्ली शामिल हुए. जिनसे पोप फ्रांसिस ने विन्सेंट आईंद को आर्चबिशप बनाने को लेकर आदेश पत्र भेजा था. जिसपर उन्हें आर्चबिशप बनाने की घोषणा की गई थी. इस आदेश पत्र को प्रतिष्ठापन समारोह के दौरान संत मरिया महागिरजाघर के पुरोहित फादर आनंद डेविड ने पढ़कर सुनाया. और मसीह विश्वासियों को दिखाया. इसके उपरांत नवनियुक्त आर्चबिशप विन्सेंट आईंद को उनकी विशेष कुर्सी 'कैथेड्रा' पर आसन कराया गया. इस दौरान निवर्तमान आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने आर्चबिशप विन्सेंट आईंद को उनकी 'मेषपालीय दंड' (झड़ी) सौंपी.
आर्चबिशप अपने धर्मप्रांत के चरवाहे होते है जो अपने भेड़ों के झुंड (मसीह विश्वासियों) की देखभाल और उनकी रक्षा करते हैं. शपथ समारोह के बीच जिस कुर्सी पर उन्हें आसन कराया गया और उन्हें जो छड़ी सौंपी गई वह उनके विशेष अधिकारों को इंगित कराती है. धर्मविधि के दूसरे चरण में नवनियुक्त आर्चबिशप ने अपने धर्मप्रांत के मसीह विश्वासियों के समक्ष अपनी पहली मिस्सा अनुष्ठान संपन्न कराई. इस दौरान अफने उपदेश में उन्होंने कहा कि संत जोसेफ के पर्व के मौके पर मुझे भेड़ों के चरवाहे (आर्चबिशप) के रुप में एक बड़ी जिम्मेवारी मिली हैं.