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जनजाति समाज के बिना जल, जंगल और जमीन की कल्पना नहीं कर सकते: संजय सेठ

बिरसा मुंडा जयंती की पूर्व संध्या पर वनवासी कल्याण केंद्र में मनाया गया जनजातीय गौरव दिवस
जनजाति समाज के बिना जल, जंगल और जमीन की कल्पना नहीं कर सकते: संजय सेठ
रांची: भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर जनजाति गौरव दिवस  का आयोजन वनवासी कल्याण केंद्र बरियातू आरोग्य भवन रांची में किया गया. रांची सांसद संजय सेठ ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जनजाति गौरव दिवस के रूप में जनजाति समाज ही नहीं बल्कि पूरे देश के 135 करोड़ देशवासियों के लिए गौरव की बात है. जनजाति समाज ही सर्वे सर्वा है. जनजाति प्रकृति है तभी हम सभी हैं. यह प्रकृति की पूजा करते हैं. प्रकृति को मां समझते हैं. जनजाति समाज के बिना हम जल जंगल जमीन की कल्पना भी नहीं कर सकते. जनजाति ही प्रकृति की रक्षा करते हैं यह प्रकृति की 80 परसेंट रक्षा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री की सोच की 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाना बहुत ही गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि अटल जी की सरकार के समय ही हमारा झारखंड अलग राज्य बना. उन्हीं के समय जनजातीय मंत्रालय भी बना ताकि जनजाति समाज का समुचित विकास हो सके. मुख्य अतिथि सांसद सुदर्शन भगत ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन के बारे में बाल्यावस्था से उनके मृत्यु तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी. 

 


 

वनवासी कल्याण केंद्र अध्यक्ष डॉ एच पी नारायण ने कहा कि जनजाति समाज शुरू से ही जंगल में रहने के कारण इनका प्रकृति से काफी लगा रहा है. यह प्रकृति पूजक है. जोहार शब्द का प्रयोग तुलसीदास कृत रामायण के अयोध्या कांड में जोहार शब्द का प्रयोग चार बार हुआ है. वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा विगत कई वर्षों से बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. कार्यक्रम के डॉ दिवाकर मिंज, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम रमेश बाबू, संदीप उरांव, अंजलि लकड़ा, सोमा उरांव, अशोक कुमार महतो, पृथ्वीराज मुखर्जी, अर्जुन राम, गुरु चरण मुंडा, बिंदेश्वर साहू, जितेशवर मुंडा, तुलसी प्रसाद गुप्ता आदि उपस्थित थे. इससे पूर्व सिद्धि गांव में संदीप उरांव के नेतृत्व में गांव के आखरा में जनजाति गौरव दिवस मनाया गया.

 
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