रांची: कोविड-19 व झारखंड सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए झारखंड समेत राजधानी में ईद मिलादुन्नबी का पर्व सादगी के साथ मनाया जा रहा है. रोड में जुलूस इस बार नहीं निकाला जा रहा. गली-मोहल्लों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. रंग-बिरंगे लाइट्स मस्जिदों के मिनारों को चार-चांद लगा रहे. झंडों से मोहल्लों की खूबसूरती देखती बन रही है. छोटे-छोटे बच्चे कुर्ता-पायजामा पहनकर ईद मिलादुन्नबी पर्व की शोभा बढ़ा रहे हैं. वहीं, घर में महिलाएं तरह-तरह की पकवानें बनाने में व्यस्त हैं. नाते मुस्तफा का खूब-खूब एहतमाम हो रहा है.
मिलाद शरीफ का एहतेमाम किया गया
ईद मिलादुन्नबी के मौके पर खानकाह मजहरिया मुनअमिया फिरदौस नगर डोरंडा मे मंगलवार को मिलाद शरीफ का एहतेमाम खानकाह के सज्जादा नशी मौलाना सैयद शाह अल्कमा शिबली के द्वारा किया गया. जिसमे हुजूरे पाक की यौमे पैदाइश का वाक्या, ईद मिलादुन्नबी क्यू मानते है, अपनी उम्मत को सही राह पर चलने और सच्चाई ईमानदारी की साथ जिंदगी बशर करने व नेक काम और नेक लोगों के साथ रहने, गरीबों को मदद का संदेश दिया गया. मौके पर मौलाना सैयद अबू राफे तिबरानी, हेजाजी, हम्मादी, मिरकात, राईका, राकिया, माशिया, मो शब्बीर, मो रहमत अली, सेराज, अदनान आदि शामिल थे.
खुशियां मनाने का हुक्म अल्लाह ने कुरान में दिया
12 रबी उल अव्वल हजरत पैगंबर साहब का जन्म दिवस है. इस अवसर पर खुशियां मनाने का हुक्म अल्लाह ने कुरान में दिया. मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि एदार ए शरीया के ऐलान के मुताबिक राज्य भर में 19 अक्टूबर को ईद मिलादुन्नबी मनाई जा रही है. एदार ए शरीया झारखंड ईद मिलादुन्नबी के पावन अवसर पर एक गाइडलाइन भी जारी किया है. इस्लाम में 12 रबी उल अव्वल ईद मिलादुन्नबी दोनों ईदों से अफजल है. यह एक बड़ा त्यौहार है.
एदार ए शरिया की गाइडलाइन
- 19 अक्टूबर को 12वीं शरीफ है। ईद मिलादुन्नबी का जश्न खूब धूमधाम और अकीदत व एहतराम के साथ मनाएं।
- घरों महल्लों, गलियों, चौक चौराहों ,मस्जिदों, मदरसों ,मकतब, खानकाहों और घरों को लाइट, झंडे और बैनर व कुमकुमे से सजाएं.
- मिलाद ए मुस्तफा की महफिल का आयोजन करें और हर घर में फातेहा, नजर व नेयाज करके दुआ करें.
-. ईद मिलादुन्नबी यानी बारहवीं शरीफ के दिन गरीबों, मोहताजों और बीमारों की मदद करें.
-ईद मिलादुन्नबी के मौके पर हर कूचों को साफ सुथरा रखें.
- अच्छे वातावरण में प्यार मोहब्बत के माहौल में और अमन भाई चारे के साथ पेश आएं. तोहफा दें और एक दूसरे को बधाई दें।
-मेन रोड, चौराहों व गलियों में रसूल की आमद और पैगामे मोहब्बत भाईचारे के बैनर लगाएं
मोहम्मद साहब के जन्मदिन को पर्व के रूप में मनाया जाता है
हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन को पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व को बारावफात या ईद मिलादुन्नबी कहते हैं. इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर मस्जिदों में इबादत करते हैं और जलसा का भी आयोजन करते है. इसमें मोहम्मद साहब की शान में नज़्म पढ़े जाते हैं. मस्जिद व घरों में कुरान को खास तौर पर पढ़ा जाता है. पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था. मोहम्मद साहब आखिरी नबी हैं. इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने की 12वीं तारीख को पड़ता है. रबी अव्वल की 12वीं तारीख को ही मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था. इसीलिए मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं.
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