न्यूज11 भारत
रांचीः पारसनाथ सम्मेद शिखर विवाद पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अपने फैसले में केंद्र ने कहा कि पारसनाथ पर्यटन स्थल नहीं है. साथ ही मामले में झारखंड सरकार को आदेश देते हुए केंद्र ने कहा कि राज्य सरकार इससे संबंधित सभी आवश्यक कदम उठाएं, 2019 की अधिसूचना पर कार्रवाई करें और इसके खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाएं. केंद्र सरकार ने कहा कि पारसनाथ में धार्मिक स्थल की पवित्रता बनाई रखी जाएं, पर्यटन और ईको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाएं और इस क्षेत्र में शराब, मांस की बिक्री भी ना हो. इस मामले में केंद्र ने समिति भी बनाई. जिसमें उन्होंने राज्य सरकार समिति में जैन समुदाय से 2 सदस्य और जनजातिय समुदय से 1 सदस्य को शामिल करने की बात कही है.
मामले में सीएम हेमंत ने केंद्र को लिखा था पत्र
बता दें इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया था. अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा था कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है. मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है. इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं. अतएव झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है. पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है.
पारसनाथ जैन समाज के लिए शुरू से आस्था का केन्द्र- सरयू
वहीं दूसरी तरफ विधायक सरयू राय ने कहा है कि मामले में गलती किसकी है, गलती कहां पर हुई है इस पर बहस करने से बेहतर है कि राज्य सरकार नये सिरे से अधिसचूना जारी करें. सरयू राय ने कहा कि केन्द्र के सभी फैसले मानने के लिए राज्य सरकार बाध्य नहीं है. यदि भारत सरकार के गजट में पारसनाथ को पर्यटन क्षेत्र बनाने की बात कही गयी है फिर भी राज्य सरकार को चाहिए कि वह जैन समाज की भावना का ख्याल करते हुए अपनी गलती को सुधारे. उन्होंने कहा कि पारसनाथ जैन समाज के लिए शुरू से ही आस्था का केन्द्र बिन्दु रहा है लिहाजा ऐसे किसी भी प्रयास पर तुरंत से रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि निर्णय लेते वक्त सरकारों से गलतियां होती है और गलती को सुधार लेने से सरकार छोटी नहीं हो जायेगी.