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रांची: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगा मामले में एसआईटी की ओर से नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट बरकरार रखी है. कोर्ट ने एसआईटी के काम की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य प्रशासन के कुछ अधिकारियों की लापरवाही का मतलब यह नहीं कि राज्य प्रशासन की साजिश थी. कोर्ट ने मोदी और अन्य को फंसाने के लिए झूठी गवाही देने वाले आईपीएस अधिकारियों-आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट को फटकारा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं कि गोधरा कांड और उसके बाद ही हिंसा सुनियोजित साजिश का नतीजा थी. पूर्व कांग्रेस सांसद जकिया जाफरी की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है.
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जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की बेंच ने 452 पन्नों में फैसला सुनाया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जो छानबीन हुई, उसमें ऐसा कोई तथ्य नहीं है, जो बताए कि अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा के लिए हाई लेवल पर साजिश रची गई. याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, एसआईटी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और गुजरात की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं.