द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में JMM के ज्यादातर विधायक, लोबिन ने कहा: कर्ज उतारने का समय
न्यूज11 भारत
रांचीः राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए द्वारा एक आदिवासी महिला और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है. जिसके बाद से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. गैर भाजपाई राजनीतिक दलों ने झारखंड के पूर्व सांसद और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. जिसमें झामुमो की भी सहमति प्राप्त है. लेकिन आज शनिवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा की अहम बैठक होने वाली है, जिसके बाद जेएमएम बड़ी घोषणा कर सकती है. जेएमएम की राजनीति का केंद्र बिंदु आदिवासी है. एक आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद पर बैठने का मौका मिला है. ऐसे में जेएमएम के भितरखने में एक आदिवासी को लेकर दबाव है, पार्टी के ज्यादातर नेता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में है. विधायक लोबिन हेंब्रम पहले ही अपनी बातों से यह स्पष्ट कर दिया है कि आदिवासी को पद मिल रहा है, ऐसे में पार्टी को समर्थन करना चाहिए.
इस बाबत निर्णय करने के लिए जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन सांसदों, विधायकों और वरीय नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे. बैठक में विधिवत राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के रूख को लेकर घोषणा होगी. वैसे कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी के ज्यादातर नेताओं ने अपने निर्णय से आलाकमान को अवगत करा दिया है. जय सरना, जय आदिवासी का नारा लगा रहे है. नेताओं का कहना है कि द्रौपदी मुर्मू से पार्टी के वरीय नेताओं के बेहतर संबंध है. जब वह राज्यपाल थी, तब तत्कालीन भाजपा सरकार ने जब सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के लिए विधेयक लाया था, तो मुख्य विपक्षी दल होने के नाते जेएमएम ने इसका कड़ा विरोध किया था. तब द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक वापस कर दिया था. द्रौपदी मुर्मू ने पार्टी से ऊपर उठकर आदिवासियों के हक में निर्णय लिया था. यह द्रौपदी मुर्मू का कर्ज उतारने का समय है.
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी बड़ा बयान दे चुके है. जिसके कई राजनीतिक मायने लगाए जा सकते हैं. मीडिया ने मुख्यमंत्री से जब द्रौपदी मुर्मू के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में अभी पार्टी का निर्णय आना बाकी है. पार्टी जो तय करेगी वही होगा. पार्टी के ज्यादातर नेता द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में है, ऐसे में पार्टी का निर्णय क्या होगा, यह समझा जा सकता है. वहीं झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि धर्म संकट जैसी कोई बात नहीं है. राजनीतिक परिस्थिति और मूल्यों के आधार पर होता है. इत्तेफाकन यूपीए और एनडीए दोनों प्रत्याशी झारखंड से संबंध रखते हैं. हर दल के अपने-अपने नजरियें है. अपनी-अपनी सोच है. किसी की सोच से हमारी पार्टी नहीं चलती. हालांकि, देखा जा रहा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्टर स्टॉक के आगे सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा आदिवासी सियासत के चक्रव्यूह में उलझती दिखाई दे रही है. झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 28 सीट आरक्षित है. 2019 के विधानसभा चुनाव में इन 28 सीटों में झामुमो को बंपर 19 सीटों पर जीत मिली थी. भविष्य की राजनीति को लेखते हुए जेएमएम गठबंधन धर्म से अलग जाकर बड़ा फैसला ले सकता है.