न्यूज11 भारत
रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में लापरवाही बरती जा रही है. मेडिकल वेस्ट को परिसर में ही फेंका जा रहा है. रिम्स के कुछ सफाईकर्मी इसे खुले में छोड़ कर जा रहे हैं. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है, जबकि प्रबंधन द्वारा सफाई के नाम पर हर महीने लाखों रुपए फूंके जा रहे हैं.
हार्ट मरीजों को हो सकता है संक्रमण
हार्ट के मरीजों को सर्जरी के बाद इंफेक्शन से बचने की सलाह दी जाती है. लेकिन रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में गंभीर हार्ट के मरीजों को संक्रमण हो सकता है, क्योंकि अस्पताल का मेडिकल वेस्ट कार्डियोलॉजी विभाग के पीछे ही खुले फेंका गया है.
ग्लव्स, कॉटन समेत कई चीजें खुले में
रिम्स परिसर में यूज किए हुए कॉटन, ग्लव्स, मास्क सहित कई अन्य मेडिकल वेस्ट खुले में पड़े हैं. इन मेडिकल वेस्ट से लोगों को संक्रमित होने का खतरा बना है. अस्पताल में लगभग 1500 मरीजों का इलाज होता है. ऐसे में कई गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को संक्रमण का खतरा होता है. ऐसी हालात में मेडिकल वेस्ट को अस्पताल परिसर में खुले में फेंकना इन मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है. साथ ही मेडिकल वेस्ट के पास से गुजरने वाले स्वस्थ लोगों को भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.
तय सिस्टम से नष्ट करना अनिवार्य
अस्पताल से निकला हुआ मेडिकल वेस्ट यानी कचरा, मरहम-पट्टी, डिस्पोजल, ग्लव्स, कॉटन, सिरिंज सहित अन्य सामान को तय सिस्टम से नष्ट करना है. शासन ने इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी किया है. अस्पतालों में विभिन्न वेस्ट मटेरियल के लिए अलग-अलग रंग के डस्टबिन रखने हैं, इतना ही नहीं, इन कचरों को सिस्टमेटिक ढंग से नष्ट भी करना है. सिरिंज को प्रापरली यंत्र में जलाकर नष्ट करना है.
अस्पताल में मेडिकल वेस्ट इंसीनरेटर की है सुविधा
रिम्स में हर दिन 600 किलो से ज़्यादा मेडिकल वेस्ट निकलता है. ऐसे में प्रबंधन के पास मेडिकल वेस्ट को डैमेज करने के लिए मेडिकल वेस्ट इंसीनरेटर की सुविधा भी है. लेकिन डिस्पोजल को लेकर सफाई कर्मचारी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. मेडिकल वेस्ट इंसीनरेटर तक लेकर जाने के बजाय कैंपस में ही इधर उधर फेंक रहे हैं.
वहीं, रिम्स प्रबंधन ने मामले को लेकर कहा कि बायो मेडिकल वेस्ट को नियमानुसार ही डिस्पोज किया जा रहा है. इसके बाद भी यदि लापरवाही बरती जा रही है, तो इसे चेक किया जाएगा और सफाई कर्ममचारियों से इस विषय में बात की जाएगी.