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आज जंतर-मंतर में सत्याग्रह
रांची: आदिवासी-सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड सहित पूरे देश के आदिवासी प्रतिनिधियों का जुटान दिल्ली में हो चुका है. आज देश की राजधानी दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन सभागार में सरना प्रार्थना सभा एवं दिल्ली सर्व समाज के संयुक्त तत्वावधान में विभिन्न राज्यों के सरना धर्मावलंबियों की प्रतिनिधि सभा आयोजित किया गया. जबकि कल 7 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना सह सत्याग्रह कार्यक्रम किया जाएगा. कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री जनजातीय मामले के मंत्री, जनगणना महारजिस्ट्रार आदि को सरना धर्म कोड संबंधी ज्ञापन सौंपा जाएगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ करमा उरांव ने कहा कि प्रकृतिक सरना धर्म विश्व धर्म है. लेकिन विडम्बना ये है कि आज तक उसे पहचान नहीं दी गई है. प्राकृतिक मानव एवं अलौकिक शक्ति के अन्योन्याश्रय संबंध स्थापित करने वाला सरना धर्म, विश्व धर्म के रूप में है लेकिन विडम्बना यह है कि भारत में उसके स्वरूप को स्थान नहीं दिया गया है. अतः हमें सरना कोड के रूप में अगले जनगणना परिपत्र में अधिसूचित कर भारत के आदिवासियों को धार्मिक आजादी प्रदान करें. प्रतिनिधि सभा में संकल्प लिया गया कि भारत सरकार के सामने सब मैदान को मुस्तैदी के साथ रखते हैं, यदि नहीं होगा तो समस्त भारत है, धार्मिक क्रांति होगा जिसका असर व्यापक असर भारतीय सामाजिक राजनीति में पड़ेगी.
धर्म कोड देकर धार्मिक आजादी प्रदान करें
राष्ट्रीय सलाहकार विधासागर केरकेट्टा ने विषय वस्तु को सबके समक्ष रखा तथा सरना धर्म कोड के नितांत आवश्यकता की बात कही. उड़ीसा से मणिलाल केरकेट्टा ने कहा कि हम जाति प्रमाण पत्र की नहीं सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. रवि तिग्गा ने कहा कि आदिवासी हमारा शरीर है तो सरना धर्म उस शरीर का आत्मा है. सरना धर्म आदिवासी संस्कृति का बेजोड़ आस्था का स्वरूप है. अतः हमें सरना कोड के रूप में अगले जनगणना परिपत्र में अधिसूचित कर भारत के आदिवासियों को धार्मिक आजादी प्रदान करें. प्राकृतिक मानव एवं अलौकिक शक्ति के अन्योन्याश्रय संबंध स्थापित करने वाला सरना धर्म, विश्व धर्म के रूप में है लेकिन विडम्बना यह है कि भारत में उसके स्वरूप को स्थान नहीं दिया गया है. अतः हमें सरना कोड के रूप में अगले जनगणना परिपत्र में अधिसूचित कर भारत के आदिवासियों को धार्मिक आजादी प्रदान करें. राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि सर्वश्री उड़ीसा से मणिलाल केरकेट्टा, दिल्ली से अनिल कुमार भगत, प्रदीप कुमार भगत, असम से अगस्टिन लकड़ा, छत्तीसगढ़ से शिव प्रसाद भगत, राजेश उरांव, झारखंड से अजीत टेटे, मथुरा कंडीर, दुर्गावती ओड़ेया, बगराय ओडेया रंथू उरांव, शिवा कच्छप, बिरसा कंडीर, रेणु तिर्की, संगम उरांव, अनुप टोप्पो आदि ने विचार प्रस्तुत किए.