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नवरात्र के विजयदशमी के दिन भारत के सभी जगह अच्छाई पर बुराई की जीत का त्योहार मनाया जाता है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है. मगर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि झारखंड के देवघर जिले में रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है. इसके पीछे भी कारण है.
दरअसल, देवघर को दशानन रावण की तपोभूमि माना जाता है और यहां स्थापित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग को रावणेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. यहां शिव और शक्ति दोनों साथ विराजमान हैं. मान्यता ऐसी है कि यहां सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना स्वीकार होती है.
इस वजह से नहीं होता है रावण दहन
देवघर में विजयादशमी के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है, क्योकि मान्यता है कि देवघर में रावण ने ही पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. यही वजह है कि देवघर को रावण की तपोभूमि माना जाता है और यहां स्थापित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग को रावणेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा कई और राज्यों में भी रावण दहन नहीं होता है. उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में रावण का मंदिर है और यहां को लोग पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रावण की पूजा करते हैं. लोग ऐसा मानते हैं कि बिसरख गांव रावण का ननिहाल था. वहीं, मध्य प्रदेश के रावनग्राम गांव में भी रावन का दहन नहीं किया जाता है. यहां के लोग रावण की पूजा करते है.
इसके अलावा राजस्थान के जोधपुर में भी रावण का मंदिर है. यहां के कुछ समाज विशेष के लोग रावण का पूजा करते हैं और खुद को रावण का वंशज मानते हैं. आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण का मंदिर बना हुआ है. वहां के लोग भी रावण दहन नहीं करते है.