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Dussehra 2021: विजायदशमी का पावन पर्व प्रेम, भाईचारा और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था और मां भगवती ने नौ रात्रि और दस दिनों के युद्ध के बाद महिषासुर का वध कर देवता और पृथ्वी लोक को उसके अत्याचार से बचाया था. इसे असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है. भगवान राम ने रावण का वध अष्टमी व नवमी के संधि काल में किया था. विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन का भी विधान है, लोग शस्त्र पूजन कर विजय की कामना करते हैं.
दिनभर ही मुहूर्त, करें नए काम की शुरुआत
दशहरे पर पूरे दिनभर ही मुहूर्त होते हैं इसलिए सारे बड़े काम आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं. यह एक ऐसा मुहूर्त वाला दिन है, जिस दिन बिना मुहूर्त देखे आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं. आश्विन शुक्ल दशमी को मनाए जाने वाला यह त्योहार 'विजयादशमी' या 'दशहरा' के नाम से प्रचलित है. यह त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति का सूचक है. इन दिनों चौमासे में स्थगित कार्य फिर से शुरू किए जा सकते हैं. विजयादशमी पर अपराजिता का बहुत महत्व होता है. आज घर के बड़े सभी को अपराजिता और शम्मी बांटते हैं. मान्यता है कि आज हाथ में अपराजिता की लता बांधने से जीवन में हार नहीं होती है.
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दशहरे के दिन भगवान श्रीराम की पूजा का दिन भी है. इस दिन घर के दरवाजों को फूलों की मालाओं से सजाया जाता है. घर में रखे शस्त्र, वाहन आदि की भी पूजा की जाती है. दशहरे का यह त्योहार बहुत ही पावनता के साथ संपन्न किया जाता है.