न्यूज11 भारत
रांची: पल्स हॉस्पिटल की जमीन में गड़बड़ी. हॉस्पिटल के नक्शा में गड़बड़ी. जमीन खरीद में कागजी खेल. लोन दिखाकर निर्माण में लगाया करोड़ों का ब्लैक मनी. प्रवर्तन निदेशालय, ईडी की जांच शुरू होते ही यह सब सामने आ गया. जांच अभी चल रही है. निलंबित आईएएस पूजा सिंघल से ईडी जानना चाहती है कि अस्पताल के निर्माण में उनकी क्या भूमिका है? अस्पताल निर्माण के लिए करोड़ों रुपए कहां से आए? अभी इन सवालों के जवाब ईडी को मिले भी नहीं है, तबतक एक नई जानकारी सामने आ रही है.
न्यूज11 भारत की पड़ताल में पता चला है कि पल्स हॉस्पिटल में मरीजों के इलाज के साथ-साथ ब्लैक मनी को वाईट मनी बनाने का भी काम होता था. मरीजों के नाम पर ही कागजी खनापूर्ति कर हॉस्पिटल प्रबंधन ने करोड़ों की हेराफेरी की है. तीन साल में तकरीबन 68 करोड़ 25 लाख रुपए को वाइट मनी में तब्दील किया गया है. ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाने का यह खेल हॉस्पिटल प्रबंधन फुल बॉडी चेकअप के नाम पर तीन साल से करते आ रहा है.
ऐसे समझे कैसे ब्लैक मनी को बनाते थे वाइट
पल्स हॉस्पिटल में पिछले तीन साल में 19 हजार 500 लोगों का फुल बॉडी चेकअप हुआ है. एक दिन में 25 लोगों की जांच होती थी. सप्ताह के पांच दिन में कुल 125 लोगों की जांच की जाती थी. ऐसे में सालभर में कुल 6500 लोगों के फुल बॉडी की जांच होती थी. एक व्यक्ति से फुल बॉडी चेकअप के नाम पर 35,000 रुपए लिए जाते थे. यानी, एक सप्ताह में 125 लोगों से फुल बॉडी चेकअप के नाम पर 43 लाख 75 हजार की की वसूली होती थी. साल भर में 22 करोड़ 75 लाख पल्स हॉस्पिटल प्रबंधन के फुल बॉडी चेकअप से आता था. तीन साल में प्रबंधन को फुल बॉडी चेकअप से 68 करोड़ 25 लाख रुपए आए है. यह ईडी की जांच में पता चला है.
क्या है सच्चाई: अबतक की पड़ताल में पता चला है कि अस्पताल प्रबंधन फुल बॉडी चेकअप के नाम पर रोजाना लाखों रुपए को वाईट मनी में तब्दील करता था. फर्जी लोगों के नाम पर कागजी खनापूर्ति कर फुल बॉडी चेकअप दिखाया जाता था. अस्पताल प्रबंधन फुल बॉडी चेकअप का पैसा कैश में ही है. ऐसे में समझा जा सकता है कि कैश में मिले करोड़ों को कैसे योजनावद्ध तरीके से वाइट मनी में तब्दील किया जाता था. यह खेल पिछले तीन साल से जारी था. ईडी अब इस मामले को भी खंगाल रहा है. अस्पताल से जब्त दस्तावेज में जिन लोगों के नाम सामने आए है, जिनका फुल बॉडी चेकअप हुआ है, वे अब मिल ही नहीं रहे है. ज्यादातर नाम फर्जी है. कई का पता झारखंड से बाहर का बताया गया है.