न्यूज 11 भारत
रांची : घटना राजस्थान की है. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि वहां पुलिस को गधा खोजने का टास्क मिला है. अगर पुलिस 76 गधों को नहीं ढूंढती है, तो गधों के मालिक थाने में धरना देंगे. पुलिस ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि गधे कही भी होंगे, उन्हें ढूंढ निकाला जाएगा. क्षेत्र में पुलिस के मैसेंजर गधों को तलाश रहे हैं. किसके घर में नया गधा आया है, उसका पता लगा रहे हैँ. जिन गधों को पुलिस तलाश रही है, वे सभी गधों की चोरी 10 दिनों के अंदर हुई है. गधे चोरी की ऐसी घटना राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में हो रही है. जिसके बाद पुलिस ने क्षेत्र में एलान किया है कि गधों के मालिक अपने गधों को घर में ही रखें.
हनुमानगढ़ ज़िले के नोहर तहसील के खुईयां थाना क्षेत्र के कई गांवों में 10 दिसंबर 2021 से ही गधे चोरी होने की शिकायतें लगातार थाने पहुंच रही हैं. पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया, तब चरवाहों ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियां के साथ थाने में धरना दे दिया. पुलिस का समझ में नहीं आ रहा था कि गधों की चोरी क्यों हो रही है? तभी चरवाहों ने बताया कि गधी का दूध काफी महंगा बिकता है. एक हजार रुपए लीटर तक कीमत मिल जाती है. वहीं गधा हर काम में सहयोग करता है. पुलिस ने गधों को दो सप्ताह के अंदर ढूंढने का आश्वासन दिया, तब चरवाहों ने अपना धरना समाप्त किया. 29 दिसंबर की रात एक गांव मंदर पुरा से छह गधे चोरी हो गए. अब इलाक़े के चरवाहे डरे हुए हैं और जल्द ही चोरी हुए गधों की तलाश की मांग कर रहे हैं. मीडिया को नोहर के डिप्टी एसपी विनोद कुमार ने बताया है कि गधा चोरी की ऐसी पहली घटना है. आधा दर्जन स्थान से गधे चोरी की सूचना मिली है.
देवासर गांव के चरवाहा पवन ने बताया है कि उनके तीन गधे चोरी हुए हैं. 9 दिसंबर की की रात से ही गधे चोरी हो रहे हैं. किसी के दो तो किसी के तीन गधे चोरी हुए और हमारे गांव में अब तक 16 गधे चोरी हो गए हैं. नोहर तहसील के मन्द्रपुरा, कानसर, देवासर, नीमला, जबरासर, राईकावाली, नीमला, जबरासर समेत अन्य गांवों से गधे चोरी हुए हैं.
पुकारने पर नहीं पलटे गधे, तो चरवाहों ने कहा यह हमारा गधा नहीं
गधों की चोरी की शिकायतों के बाद पुलिस 27 दिसंबर की रात 15 गधों को पकड़ कर थाने भी ले आई. फिर चरवाहों को अपने गधों की पहचान के लिए बुलाया गया.खुईयाँ थाना अधिकारी वीरेंद्र शर्मा ने मीडिया को बताया कि गधे चोरी की शिकायत मिली, तो पुलिस टीम ने कुछ गधों को पकड़ा था. लेकिन, अपने गधे की पहचान के दौरान चरवाहे गधों को चिंटू, पीकू, कालू और अन्य नामों से बुलाने लगे. बाद में उन्होंने अपने गधे होने से इंकार कर दिया क्योंकि नाम लेने पर गधे पलटे नहीं थे.देवासर गांव से चोरी हुए गधों के मालिक (चरवाहा) पवन का कहना है, थाने में जो गधे दिखाए गए थे, वो हमारे नहीं थे. हम अपने पशुओं को पहचानते हैं. थाने में दिखाए गधे भट्टे और ईंट ढोने का काम करने वाले थे.पवन बताते हैं कि 12 से 15 हज़ार रुपया एक गधे की कीमत है. हम गरीब लोग पशुपालन से ही जीवनयापन करते हैं.