रांची: राज्य के सबसे बडे अस्पताल रिम्स में मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के बावजूद मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं. सर्जरी में बेड कम होने की वजह से मरीज जमीन पर इलाज करवा रहे है. ट्रॉली की पर्याप्त सुविधा नहीं होने से परिजन कई बार मरीज को टांग पर जांच के लिए ले जाते हैं. इनडोर विभाग के पास मरीज को इमरजेंसी या दूसरे वार्ड में ले जाने के लिए ट्रॉलीमैन की सुविधा है. ऐसी सुविधा की कमी एक बार फिर देखन मिली जब बोकारो से इलाज के लिए पहुंचे एक मरीज करीब आधे घंटे से इमरजेंसी के बाहर ट्रॉली व व्हीलचेयर का इंतजार करता. यह मरीज एक पैर में गंभीर चोट के साथ बैसाखी के सहारे खड़ा मदद का इंतजार करने लगा. कई लोगों से मदद के लिए बात भी की लेकिन मदद नहीं मिली बस इंतजार करता रहा.
एक विभाग से दूसरे विभाग जाना हो रहा मुश्किल
बोकारो से इलाज के लिए पहुंचे परवेज़ आलम (36), बोकारो से इलाज के लिए आये हैं, पैर में गंभीर चोट है और कैंसर विभाग में दिखने को कहा गया. इसके पहले उन्होंने सर्जरी के ओपीडी में डॉ विनय को दिखाया था. लेकिन विभाग जाने के लिए न तो ट्रॉली मिला और न ही व्हील चेयर.ट्रॉली के लिए कई बार प्रयास किया पर नहीं मिला.
जांच करने वाले डॉक्टर से भी नहीं हो पा रही मुलाकात
मरीज के परिजन अनवर ने बताया कि 6 सितंबर को रिम्स सर्जरी विभाग में डॉ विनय से ओपीडी में दिखाए थे. उन्होंने कुछ जांच लिखा था जिसकी रिपोर्ट 13 सितंबर को आई. जिसके बाद 14 सितंबर को हम रिम्स में रिपोर्ट लेकर डॉक्टर को आगे के इलाज के लिए मिलने आए. लेकिन आज 16 तारीख हो गए ना डॉक्टर से भेंट हो पा रहा है और ना ही इलाज के लिए कहीं से मदद मिल पा रही है. 2 दिनों से बस यूं ही आना जाना हो रहा है इसी उम्मीद में कि आज नहीं तो कल डॉक्टर मिल जाएंगे और इलाज की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
बिना इलाज के ही कई दिनों से लौट रहे हैं
अनवर ने बताया कि 6 सितंबर को रिम्स सर्जरी विभाग में डॉ विनय से ओपीडी में दिखाए थे. उन्होंने कुछ जांच लिखा था जिसकी रिपोर्ट 13 सितंबर को आई. जिसके बाद 14 सितंबर को हम रिम्स में रिपोर्ट लेकर डॉक्टर को आगे के इलाज के लिए मिलने आए. लेकिन आज 16 तारीख हो गए ना डॉक्टर से भेंट हो पा रहा है और ना ही इलाज के लिए कहीं से मदद मिल पा रही है. 2 दिनों से बस यूं ही आना जाना हो रहा है इसी उम्मीद में कि आज नहीं तो कल डॉक्टर मिल जाएंगे और इलाज की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.