रक्षाबंधन में झारखंड की 75 स्वंय सहायता समूहों की 550 महिलाएं बना रही हैं राखियां
न्यूज11 भारत
रांची: एक बार फिर झारखंड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की तरफ से रक्षाबंधन की राखियां बाजार में उपलब्ध करायी जा रही है. जेएसएलपीएस से जुड़ी महिला समितियों को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पलाश ब्रांड के नाम से ब्रांडिंग और मार्केटिंग सरकार की तरफ से की जा रही है. झारखंड के आठ जिले रांची, हजारीबाग, दुमका, गिरिडीह, रामगढ, बोकारो, धनबाद और लोहरदगा के लगभग 75 स्वयं सहायता समूहों की 550 से अधिक माहिलाएं राखी बना कर बिक्री कार्य से सीधे तौर पर जुड़ कर बाजार तक राखी उपलब्ध करा रही है. सखी मंडल की प्रशिक्षित दीदीयों ने 25,000 से अधिक आकर्षक राखियां बनायी हैं. संबंधित जिलों के पलाश मार्ट एवं पलाश प्रदर्शनी सह बिक्री काउंटर के माध्यम से जिला व प्रखण्ड स्तर पर बिक्री भी की जा रही है. राखी निर्माण की इस पहल से दीदियों की अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है.
राज्य की सखी मंडल के उत्पादों को पलाश के जरिए एक नई पहचान मिली है और आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है. हाथ से बनी राखियां लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रही है. इन महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण के तहत जैविक सामग्री का उपयोग करते हुए 20-25 प्रकार की राखी बनाने की कला सिखाई गई है. अब अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए माहिलाएं जैविक सामग्री जैसे - धान, चावल, मौली धागा, सूती धागा, रेशम धागा, मोती, बुरादा, हल्दी, आलता आदि का उपयोग कर विभिन्न डिजाइन की राखियां तैयार कर रही हैं.
हजारीबाग सखी मंडल द्वारा विशेष रूप से कपड़े की राखी तैयार की गई है, जो काफी लुभावनी एवं आकर्षक है. उसमें स्माइली राखी, इमोजी राखी, भैया-भाभी राखी, रुद्राक्ष राखी, चाकलेट राखी आदि प्रमुख हैं. हस्तनिर्मित राखियों की कीमत 10 से 280 रुपये तक है. बोकारो जिला के चास प्रखण्ड के बांसगोड़ा पूर्वी आजीविका महिला संकुल संगठन की 15 महिलाएं राखी बनाने का काम कर रही हैं. इन 15 सखी मंडल की दीदियों द्वारा अब तक 8000 राखियां बनाई गई है, जिन्हें पलाश मार्ट के द्वारा बिक्री की जा रही है. रांची के हेहल स्थित जेएसएलपीएस राज्य कार्यालय स्थित पलाश मार्ट में सखी मंडल द्वारा निर्मित फैंसी राखियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. अच्छी कीमत पर फैंसी एवं आकर्षक राखियों की खरीदारी यहां से की जा सकती है.