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रांची: टेरर फंडिंग मामले में नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) महेश अग्रवाल से लगातार पूछताछ कर रही है. पूछताछ के दौरान एनआईए के सामने कई सनसनिखेज और अहम खुलासे किए गये हैं. यहां बताते चलें कि झारखंड हाईकोर्ट से टेरर फंडिंग मामले में आधुनिक पावर कंपनी के एमडी महेश अग्रवाल और ट्रांसपोटर्स अमित अग्रवाल व विनीत अग्रवाल को हाईकोर्ट ने अस्थायी जमानत याचिका को वैकेट कर दिया था. हाईकोर्ट की खंडपीठ चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने इनकी ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया था. पूर्व में बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद अगले दिन एनआईए ने महेश अग्रवाल को कोलकाता के सॉल्ट लेक स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में विनीत अग्रवाल और सोनू अग्रवाल फरार है.
चतरा जिला कांड संख्या 22 ऑफ 2018 में नेशनल इनवेस्टीगेटिंग एजेंसी ने टेकओवर करते हुए जांच शुरू की थी.
इस मामले में सीसीएल, उग्रवादी और शांति समिति के नाम पर लेवी वसूलने का मामला भी शामिल है. एनआइए ने इस संबंध में सीसीएल के कर्मियों के अलावा 14 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दायर करते हुए लिखा था कि टीएसपीसी को लेवी देने के लिए ऊंचे रेट पर मगध और आम्रपाली कोल परियोजना से कोयले की ढुलाई (ट्रांसपोर्टिंग) का काम लिया गया था. टीपीसी के लिए लेवी की वसूली करने वाले बिंदेश्वर गंझू उर्फ बिंदू गंझू को एनआइए ने रांची से गिरफ्तार किया था. उसने ही लेवी देनेवाले ट्रांसपोर्टरों और कंपनियों के नाम का खुलासा किया था. एनआइए को उसने यह भी बताया था कि लेवी के पैसे का हिस्सा पुलिस के आला अफसरों से लेकर नेताओं तक पहुंचाया जाता है. उधर एनआइए को यह भी पता चला कि टेरर फंडिंग का सबसे अहम किरदार यानी सोनू अग्रवाल, जिसके बारे में कहा जाता है कि चतरा के टंडवा में टेरर फंडिंग की पूरी व्यूह रचना उसने कोलकाता ,दुर्गापुर और दिल्ली जैसे शहरों से रहते हुए रची. यह पता चला कि कैसे 10 रुपये के नोट से करोड़ों की लेवी उठवाने और उसे तय जगह पर पहुंचाने का हाईप्रोफाइल सिस्टम विकसित किया गया था कि जगह पर पैसे पहुंच जायें. सोनू अग्रवाल को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले का आरोपी बनाया है. सोनू अग्रवाल मगध आम्रपाली प्रोजेक्ट में श्री बालाजी ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के जरिये कोयला उठा रही है. NIA ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि सोनू अग्रवाल अपने व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए ग्राम समिति के सदस्यों और टीपीसी को लेवी का भुगतान करने के लिए स्थानीय व्यापारियों और अन्य व्यापारियों से नकद राशि की व्यवस्था करता था. इतना ही नहीं सोनू अग्रवाल के आवासीय परिसर से एनआइए ने 7.91 लाख नकद और 10,000 सिंगापुर डॉलर जब्त किए थे, जबकि उसके कार्यालय से 3,72,750 रुपये और 8760 हांगकांग डॉलर जब्त किया गया था.