‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा बुलंद करने वाले सुभाष चन्द्र बोस, जितने महान स्वतंत्रता सेनानी थे, उनके विचार भी उतने ही क्रांतिकारी थे. यही वजह है कि आज भी उनके क्रांतिकारी विचार युवाओं के दिलों में देशभक्ति का अलख जगाते हैं. उनके कुछ विचार, तो आज भी सुनने को मिलते है.
नेताजी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की मदद से आजाद-हिंद फौज का गठन करते हुए, अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान किया था. नेताजी के साथ-साथ उनकी आजाद हिंद फौज ने देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने 'जय हिंद जय भारत' का नारा दिया था जो आगे चलकर देश का राष्ट्रीय नारा बन गया.
नेताजी के प्रमुख क्रांतिकारी विचार
1- संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, इसी से मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले नहीं था.
2- अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है.
3- अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है.
4- हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं.
5- यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना.
6- तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा.
7- आज हमारे भीतर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके.
8- मुझे यह नहीं मालूम कि आजादी की लड़ाई में हममें से कौन जीवित बचेगा, लेकिन मैं यह जानता हूं कि अंत में जीत हमारी ही होगी.
स्वतंत्रता संग्राम में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका :
आज यानी 18 अगस्त को देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत माता के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. 18 अगस्त 1945 के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विमान हादसे में मारे जाने की खबर को सुनकर हर हिंदुस्तानी को जबरदस्त झटका लगा था. हालांकि इस हादसे की खबर जापान ने 5 दिन बाद सार्वजनिक की थी, लेकिन अभी तक नेताजी के विमान हादसे में मारे जाने पर रहस्य बरकरार है.
निधन के तीन जांच आयोग बने :
भारत में नेताजी के निधन के रहस्य को जानने के लिए 3 जांच आयोग बने, जिनमें से दो जांच आयोग का कहना है कि उनका निधन विमान हादसे में हुआ, जबकि तीसरे जांच आयोग का कहना है कि उनका निधन विमान हादसे में नहीं हुआ था.
अंग्रेजों ने दिया था रायबहादुर का खिताब :
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था. जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे. पहले वे सरकारी वकील थे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. उन्होंने कटक की महापालिका में लम्बे समय तक काम किया था और वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे. अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था.