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उमेश पाल मामले में अतीक अहमद को उम्रकैद, वकीलों ने लगाए 'अतीक को फांसी दो' के नारे

उमेश पाल मामले में अतीक अहमद को उम्रकैद, वकीलों ने लगाए 'अतीक को फांसी दो' के नारे

न्यूज11 भारत


रांची:  उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने माफिया अतीक अहमद समेत 3 को दोषी करार दे दिया है. बता दें  17 साल पुराने मामले में आखिर न्यायपालिका ने अतीक को उमेश का मुजरिम माना.और कोर्ट ने अतीक को उम्र कैद की सजा सुनाई है. बता दें अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी  25 जनवरी, 2005 में बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर के साथ हुई थी.

 

राजू पाल के मर्डर का एकमात्र चश्मदीद गवाह उमेश पाल था. इसी बात को लेकर अतीक अहमद ने उमेश को कई बार फोन कर बयान न देने और केस से हटने की चेतावनी दी थी. यहां तक कि अतीक ने उमेश को ऐसा न करने पर जान से मारने की भी धमकी दी थी. इन धमकियों से उमेंश नहीं माना तो 28 फरवरी, 2006 को उसका अपहरण करा लिया.

 

इस दौरान उसे रात भर मारा गया. बिजली के शॉक दिए गए. मनमाफिक गवाही देने के लिए अतीक ने उसे अमानवीय तरीको से टार्चर किया. साथ ही पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी भी दी. इस अपहरण और मारपीट से डरे उमेश ने 1 मार्च, 2006 को कोर्ट में अतीक के पक्ष में गवाही दी. उस समय सपा की सरकार थी.

 

उमेश अपनी और परिवार की जान की रक्षा के लिए सालभर चुप रहा. इसके बाद साल 2007 में  यूपी विधानसभा चुनाव हुए और सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. मायावती की नेतृत्व वाली बसपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी. अपने नेता राजू पाल की हत्या का मामला उठाते हुए अतीक के खिलाफ मायावती ने कार्रवाई की. इसी बाबत चकिया स्थित उसका दफ्तर तुड़वा दिया. इसी दौरान माया सरकार ने उमेश पाल को लखनऊ बुलवाया और इस केस को पुन: खुलवाने की हिम्मत दी.

 


 

इसके बाद उमेश पाल ने एक साल बाद 5 जुलाई, 2007 में अतीक अहमद उसके भाई अशरफ समेत 10 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. बता दें पिछले 17 साल से केस की पैरवी कर रहे थे उमेश. वहीं उमेश पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में धारा 147/148/149/364A/323/341/342/504/506/34/120 B and 7 Criminal law Amendment Act के तहत अपहरण का मामला दर्ज हुआ था.  इसी केस की 17 साल से उमेश पाल बिना डरे पैरवी कर रहे थे. उमेश पाल ने ठान लिया था अतीक अहमद और अशरफ ने जिस तरह उसको मारा-पीटा और उसके साथ गलत व्यवहार किया था. उसके बदले सजा दिलवाकर लेगा. यही कारण रहा कि यही कारण है कि उमेश पाल हर तारीख पर अपने मुकदमे की पैरवी के लिए स्वयं आते थे.

 

इस मामले में अतीक  की ओर से कई बार उसे धमकी भी दी गयी.उमेंश को केस वापस लेने को कहा गया पर उमेश ने बिना डरे पैरवी करना नहीं छोड़ा. अब जब 28 मार्च को इस 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद फैसला आ रहा है, उससे ठीक 32 दिन पहले 24 फरवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. वो भी उस वक्त जब उमेश पाल अपहरण केस की सुनवाई के बाद घर लौट रहे थे. बता दें इस हत्याकांड का आरोप भी अतीक, अशरफ समेत उसके पूरे कुनबे पर लगा है.

 

वहीं इस मामले में अधिवक्ताओं का कहना है कि उमेश पाल हत्याकांड में अपहरण करने वालों पर ही हत्या का भी आरोप लग गया है. ऐसी स्थिती में भारतीय संविधान की धारा 364A में फांसी की सजा का प्रावधान भी है. इसके अलावा इस केस में वादी उमेश पाल की हत्या भी हो चुकी है और हत्या का आरोप भी अपहरण कराने वालों पर ही है.  ऐसे में अपराध और गंभीर हो जाता है.बता दें उमेश पाल इस केस में जीवित रहते उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी.

 

मालूम हो कि उमेश पाल अपहरण केस में मंगलवार को MP-MLA कोर्ट द्वारा अतीक को दोषी करार दिए जाने के बाद  STF अतीक और अशरफ को उमेश पाल मर्डर केस में 14 दिन की कस्टडी रिमांड पर ले सकती है. वहीं बता दें दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ की भी तैयारी है. इस प्रक्रिया में कुछ दिन लग सकता है.वहीं उमेश पाल हत्याकांड में फैसला आने के बाद राजू पाल हत्याकांड पर फैसला आने की उम्मीद है. बता दें CBI की स्पेशल कोर्ट में यह मामला चल रहा है. 

 

इस मामले में भी फैसला आना बाकी है. वहीं दूसरी ओर उमेश पाल हत्याकांड के बाद राज्य सरकार अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों की पैरवी तेजी से कर रही है. बता दें  इस केस में 11 लोग आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है. वहीं उमेश पाल मामले में कोर्ट ने अतीक के आपराधिक साम्राज्य के अंत पर मुहर लगा दी. कोर्ट ने अतीक अहमद और उसके वकील को दोषी पाया .

 

अतीक को इस केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है. बता दे अतीक पर 119 मुकदमे है जिसमें से यह पहली सजा है. वहीं अतीक के भाई अशरफ अहमद पर भी 52 मुकदमे थे.  बता दें इस केस में दो आरोपी आशिक और एजाज अख्तर कोर्ट में पेश नहीं हुए, उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. उमेश के मामले में अशरफ को कोर्ट ने बरी कर दिया है. वहीं अतीक का शूटर फरहान और दिनेश पासी को भी दोषी पाया गया. मालूम हो कि कोर्ट ने धारा 120बी, 364 ए की संगीन धाराओं के तहत इन्हें दोषी पाया है. इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ला ने कोर्ट में यह फैसला सुनाया.

 

उन्होंने अतीक अहमद और अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया है. इसके साथ ही  उमेश पाल अपहरण मामले में आरोपी माफिया अतीक का गुर्गा आबिद प्रधान और दिनेश पासी कोर्ट पहुंचे. इसी के साथ माफिया अतीक, अशरफ और फरहान भी कोर्ट पहुंचे. बताया गया है कि कोर्ट में मिलते ही अतीक और अशरफ फूट फूट कर रोए.

 

वहीं इन अपराधियों को 364 ए के तहत दोषी पाया गया. इधर दोषी पाए जाने के बाद बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष ने सजा को लेकर अपनी अपनी दलील रखी. बताते चलें कि माफिया अतीक अहमद को चार साल पहले देवरिया जेल से गुजरात की साबरमती जेल ले जाया गया था. परंतु उमेश पाल के केस में सजा सुनाए जाने के दिन उसे वापस लाया गया. 

 

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