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रांची: राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के तत्वाधान में समस्त सरना संगठनों की विशेष बैठक प्रेस क्लब डॉक्टर करमा उरांव की अध्यक्षता में हुई. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ उरांव ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता कड़िया मुंडा द्वारा विश्व हिंदू परिषद के इशारे पर बयान दिया है कि 'भारत के जनजाति हिंदू हैं. कड़िया मुंडा 8 बार सांसद रहे हैं. केंद्रीय मंत्री रहे हैं और लोकसभा के उपाध्यक्ष रहे. ये पदवी विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के रहमो करम पर हुआ है, इसलिए वह ऋण चुका रहे हैं. कड़िया मुंडा धर्मांतरित हिंदू हो सकते हैं, मगर सभी आदिवासी नही. आदिवासी सनातन-हिंदु नही हैं. जिस तरह से कई लोग ईसाई एवं अन्य धर्मों में धर्मांतरित कर गए हैं उसी तरह कड़िया मुंडा भी धर्मांतरित हिंदु हो चुके हैं. उन्हें समस्त भारत के आदिवासियों के धार्मिक एवं सामाजिक व्यवस्था जो पौराणिक है, उसके संबंध में बयान देने का हक नहीं है. उन्हें सलाह दी जाती है कि इस तरह के बयानबाजी से बाज आवें अन्यथा आदिवासी समाज इस पर कड़ा रुख अपनायेगा.
सरना धर्म कोड को लेकर दिल्ली में दस्तक, सभा एवं धरना 6 एवं 7 को
बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्र से सरना धर्मकोड की मांग हेतू 6 और 7 दिसम्बर क्रमशः विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों की प्रतिनिधि सभा एवं जंतर मंतर में सत्याग्रह सह धरना आयोजित होगी. इसके माध्यम से दिल्ली में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर दस्तक दी जाएगी. इस दौरान भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, जनजातीय मामले के मंत्री को स्मार पत्र दिया जाएगा. डा. उरांव ने कहा कि देश की लगभग एक करोड़ सरना धर्मावलंबी अब प्रतिबद्ध है कि सरना धर्म कोड जनगणना परिपत्र में शामिल हो और समस्त भारत के आदिवासियों को धार्मिक पहचान और आजादी दे अन्यथा देश में धार्मिक क्रांति होगी और इसका सीधा राजनीतिक प्रभाव भी दिखेगा. बैठक में तय हुआ कि सरना धर्मकोड सम्मेलन आगामी 28 नवंबर को खूंटी में और 16 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के जसपुर में होगा. इस मौके पर रंथू उरांव, रवि तिग्गा, नारायण उरांव, प्रभात तिर्की, बलकू उरांव, वीरेंद्र उरांव, रेणु तिर्की, सुशीला उरांव, रजनी उरांव, संध्या उरांव, शिवा कच्छप, ब्रजकिशोर बेदिया, चंपा कुजूर, संजय कुजुर, शिव प्रसाद भगत सहित कई उपस्थित थे.